Sunday 3 September 2017

Dharm Darshan 91



गीता और क़ुरआन

भगवान् कृष्ण कहते हैं - - -

"हे कुंती पुत्र ! तुम अगर युद्ध में मारे जाओगे तो स्वर्ग प्राप्त करोगे या 
यदि तुम जीत जाओगे तो पृथ्वी के सान्राज को भोग करोगे, 
अतः तुम संकल्प करके खड़े हो जाओ और युद्ध करो .
श्रीमद्  भगवद् गीता अध्याय 2  श्लोक 37

अल्लाह क़ुरआन में कहता है - - -

"और जो शख्स अल्लाह कि राह में लडेगा वोह ख्वाह जान से मारा जाए या ग़ालिब आ जाए तो इस का उजरे अज़ीम(महा पुण्य) देंगे और तुम्हारे पास क्या औचित्य है कि तुम जेहाद न करो अल्लाह कि राह में।"
सूरह निसाँअ4 पाँचवाँ पारा- आयात (75)
" अल्लाह ताला ने इन लोगों का दर्जा बहुत ज़्यादा बनाया है जो अपने मालों और जानों से जेहाद करते हैं, बनिसबत घर में बैठने वालों के, बड़ा उजरे अज़ीम दिया है, यानी बहुत से दर्जे जो अल्लाह ताला की तरफ़ से मिलेंगे।" 
सूरह निसाँअ4 पाँचवाँ पारा- आयात (95) 
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क्या गीता और कुरआन के मानने वाले इस धरती को पुर अमन रहने देंगे ?
क्या इन्हीं किताबों पर हाथ रख कर हम अदालत में सच बोलने की क़सम खाते हैं ? ?
धरती पर शर और फ़साद के हवाले करने वाले यह ग्रन्थ 
क्या इस काबिल हैं कि इनको हाज़िर व् नाज़िल किया जाए, गवाह बनाया जाए ???


जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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