Tuesday 10 October 2017

Quraan ke jhoot aur taureti sadaqat 14

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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क़ुरआन में कई अच्छी और कई बुरी हस्तियों का नाम बार बार आता है , जिसमे उनका ज़िक्र बहुत मुख़्तसर होता है। पाठक की जिज्ञासा उनके बारे में बनी रहती है कि वह उनकी तफ्सील जानें।  मुहम्मद ने इन हुक्मरानों का नाम भर सुना था और उनको पैग़म्बर या शैतान का दरजा देकर आगे बढ़ जाते हैं , उनका नाम लेकर उसके साथ मन गढ़ंत लगा कर क़ुरआन पढ़ने वालों को गुमराह करते हैं। दर अस्ल यह तमाम हस्तियां यहूद हैं जिनका  विवरण तौरेत में आया है, मैं उनकी हक़ीक़त बतलाता हूँ , इससे मुहम्मदी अल्लाह की जिहालत का इन्किशाफ़ होता है। 
क़ुरआन के झूट - - - और तौरेती सदाक़त  

मूसा 
(2)


खुदा ने मूसा को तीन करिश्मे दिए ,
१- जब अपनी लाठी को ज़मीन पर डाल दोगे तो वह सांप बन जाएगी। 
२- अपना हाथ बगल में डाल कर निकालोगे तो गदेली पर कोढ़ के दाग आ जाएंगे और दोबारा डाल कर निकालो गे तो दाग गायब हो जाएंगे। ३ 
३ - नील नदी के पानी को चुल्लू में लेकर डालोगे तो वह खून बन जाएगा।
मूसा ने ख़ुदा से गुज़ारिश की कि वह हकला है , फ़िरऔन के दरबार में कैसे बातें करेगा ?
ख़ुदा  ने इसके भाई हारुन को इसका मददगार बना दिया ,
फिर भी मूसा इस काम से घबरा रहा था क्योकि मिस्र जाकर वह मुसीबत में नहीं पड़ना चाहता था। उसने ख़ुदा  से कहा , तू इस काम के लिए किसी और को चुन ले। 
यह सुन कर ख़ुदा  नाराज़ हुवा और उसे मिस्र जाने का हुक्म दिया। 
मूसा अपने ससुर ययतरु से नेक दुआएं लेकर भाई हारुन के साथ मिस्र के लिए रवाना हो गया। 
उसने मिस्र पहुँच कर फिरौन से दरख्वास्त की कि वह अपने भाई इसराईलियों को लेकर हेरोब की पहाड़ियों पर इबादत के लिए जाना चाहता है। इसके लिए योवहा (ख़ुदा) ने हमें हुक्म दिया है। 
फ़िरऔन मूसा की चल को समझ जाता है कि वह मिस्र से इस्राइलियों को आज़ाद कराना चाहता है जोकि यहाँ मेहनत मज़दूरी करके गुज़ारा करते हैं , गोया उसने साफ़ इंकार कर दिया , इसके बाद उसने इसराईलियों पर काम के बोझ को दोगुना कर दिया।
 मूसा परेशान होकर अपने आप से कहता है , कहाँ मुसीबत में डाल दिया मुझको और मेरे भाई इसराईलियों को ? यवोहा उसे तसल्ली देता है। 
 मूसा और हारुन अपना जादू दिखलाने फ़िरऔन के दरबार में जाते हैं। 
मूसा का मुक़ाबला फ़िरऔन के जादूगरों से शुरू हो जाता है जिसमें दरबारी जादूगर मूसा से कहीं पर कमज़ोर  साबित नहीं होते। 
इसके बाद शुरू होता है मिस्र पर अज़ाब ए इलाही का सिलसिला। 
मूसा अपनी लाठी के इशारे से नील नदी की सभी मछलियों को मार देता है.
नील नदी के सारे मेढक खुश्की पर आ जाते है। 
मच्छर पूरे मिस्र पर अज़ाब बन कर छा जाते हैं। 
डंक दार कीड़े पैदा हो जाते हैं। 
पूरे मिस्र में बीमारियां फ़ैल जाती हैं। 
इसके बाद टिड्डियों का हमला होता है। 
मूसा ने फ़िरऔन को चेतावनी दी कि अगर इसराईलियों को हेरोब पर न जाने दिया गया तो मिस्र में इंसानों और मवेशियों के पहले सभी बच्चे मौत के घाट उत्तर जाएंगे। 
मूसा की चेतावनी से फ़िरऔन घबरा जाता और इसराईलियों को हेरोब पहाड़ियों पर जाने की इजाज़त दे देता है । 
इसराईलियों का मिस्र से हिजरत (प्रवास)
युसूफ के ज़माने में सिर्फ सत्तर नफर बनी इसराईल (याक़ूब की औलादें)के नाम से कनान से मिस्र में दाखिल हुए थे जोकि ४३० सालों में फल फूल कर छः लाख से ऊपर हो गए थे। इन बनी इसराईलियों यानी याक़ूब की औलादों को फ़िरऔन मिस्र से निकाल रहा था। 
मूसा की बद दुआओं से मिस्र का माहौल ऐसा हो गया था कि  सारे मिस्री इब्रानियों से मरऊब हो चुके थे और इनकी बातों पर भरोसा करने लग गए थे। इसका असर ये हुवा कि इसराईलियों ने मिस्रियों से क़र्ज़ ऐंठा , इसराईलियों औरतों ने मिस्री औरतों से जेवरात ऐंठे कि हैरोब जाकर आपके लिए दुआ करेंगे। 
तौरेत कहती हैं "इस तरह इसराईलियों ने मिस्रियों को रातो रत लूट लिया।" 
इनके साथ इनके सारे असासे , मवेशी और कुछ मिस्री भी थे। 
 बड़ा क़ाफ़िला पूरी रात चलता रहा। इस रात को त्योहारों की तरह मनाने का रवायत इसराईलियों में आज भी क़ायम है। 
सुब्ह हुई , दिन आया , इस दिन को इसराईलियों ने अपने कैलेंडर साल का पहला दिन माना और इस दिन को "पास्का " के नाम से मंसूब किया। इसराईलियों में जश्न ए पास्का मानाने का रिवाज आज भी चला आ रहा है। 
इसराईल अपने साथ अपने नबी जोसेफ़ का ताबूत भी ले गए जो मिस्र के म्युज़ियम में महफूज़ था। 
इधर फ़िरऔन को एहसास हुवा कि वह बहुत बड़ी गलती कर बैठा है। सारे मिस्र से खादिम और मज़दूर लापता हो चुके थे , अब कौन करेगा इनके काम ?
इसने अपने फैसले पर नज़र ए सानी किया और अपनी फ़ौज को हुक्म दिया कि इसराईलियों के काफिले को रोके और वापस ले आए। 
तब तक मूसा का क़ाफ़िला एक बड़ा सफर तय करके नड सागर (बह्र ए सौफ़) तक पहुँच चुका था। मूसा को खबर मिली की मिस्री फ़ौज इब्रानियों को वापस लेने के लिए आ रही है। इस खबर से लोग घबराए , मूसा ने उन्हें तसल्ली दी और बह्र ए सौफ़ की तरफ अपने दोनों हाथों को दुआ के लिए फैला दिया। 
सागर दो दीवारों में बट गया और बीच में एक खुश्क राह बन गई। मूसा ने इस करिश्माई रहगुज़र पर इसराईलियों को डाल दिया। 
क़ाफ़िला नड सागर को पार कर चुका था कि फ़िरऔन की फौजें दूसरे किनारे पर पहुँच चुकी थीं। मिस्री सरबराह ने अपनी फ़ौज को उसी रस्ते पर चल कर इसराईलियों तक पहुँचने का हम दिया। 
मूसा ने अपने फैले हुए बाज़ुओं को समेट लिया ,पानी में बनी हुई दोनों दीवारें गायब हो गईं और फ़िरऔन की फ़ौज उसमे ग़र्क़ हुई 
नड सागर लाल सागर के क़रीब ही है। इसे क़ुरआन दरयाय नील लिखता है। 

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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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