Monday 27 November 2017

अलबकर -२ पहला पारा- नवीं क़ुरान सार किस्त

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.

***************

क़ुरआन सार 


* शराब और जुवा में बुराइयाँ हैं और अच्छइयां भी. 
*खैर और खैरात में उतना ही खर्च करो जितना आसान हो. 
* यतीमों के साथ मसलेहत की रिआयत रखना ज्यादा बेहतर है. 
*काफिर औरतों के साथ शादी मत करो भले ही लौंडी के साथ कर लो. 
*काफिर शौहर मत करो, उस से बेहतर गुलाम है. 
*हैज़ एक गन्दी चीज़ है हैज़ के आलम में बीवियों से दूर रहो. 
*मर्द का दर्जा औरत से बड़ा है. 
*सिर्फ दो बार तलाक़ दिया है तो बीवी को अपना लो चाहे छोड़ दो. 
*तलाक के बाद बीवी को दी हुई चीजें नहीं लेनी चाहिएं, 
मगर आपसी समझौता हो तो वापसी जायज़ है. 
जिसे दे कर औरत अपनी जन छुडा ले. 
*तीसरे तलाक़ के बाद बीवी हराम है.
*हलाला के अमल के बाद ही पहली बीवी जायज़ होगी. 
*माएँ अपनी औलाद को दो साल तक दूध पिलाएं 
तब तक बाप इनका ख़याल रखें. 
ये काम दाइयों से भी कराया जा सकता है. 
*एत्काफ़ में बीवियों के पास नहीं जाना चाहिए. 
*बेवाओं को शौहर के मौत के बाद चार महीना दस दिन निकाह के लिए रुकना चाहिए. 
*बेवाओं को एक साल तक घर में पनाह देना चाहिए 
*मुसलमानों को रमजान की शब् में जिमा हलाल हुवा.
वगैरह वगैरह सूरह कि खास बातें, 
इस के अलावः नाकाबिले कद्र बातें जो फुजूल कही जा सकती हैं. 
भरी हुई हैं.
तमाम आलिमान को मोमिन का चैलेंज है.
मुसलमान आँख बंद कर के कहता है क़ुरआन में निजाम हयात 
(जीवन-विधान) है.
नमाज़ियो!
ये बात मुल्ला, मौलवी उसके सामने इतना दोहराते हैं कि वह सोंच भी नहीं सकता कि ये उसकी जिंदगी के साथ सब से बड़ा झूट है. 
ऊपर की बातों में आप तलाश कीजिए कि कौन सी इन बेहूदा बातों का आज की ज़िन्दगी से वास्ता है. 
इसी तरह इनकी हर हर बात में झूट का अंबार रहता है. 
इनसे नजात दिलाना हर मोमिन का क़स्द होना चाहिए . 

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

No comments:

Post a Comment