Saturday 11 November 2017

Hindu Dharm Darshan 110



लघु कथा 

लव जिहाद 

वर्मा जी और सिद्दीक़ी साहब बचपन के दोस्त थे, 
इनकी दोस्ती एक हादसे से शुरू हुई जब दोनों  पांचवीं कक्षा में थे. 
एक हलवाई ने जब वर्मा को गिलास में पानी पीने को दिया, मगर सिद्दीक़ी को गिलास में पानी देने से इनकार कर दिया. मासूम वर्मा दोस्त के लिए हलवाई से लड़ पड़ा. 
दोनों बच्चे अच्छे दिल व दिमाग़ के मालिक थे, तमाम उम्र दांत काटी रोटी की दोस्ती निभाई. वर्मा हिन्दुओं में एलान के साथ कहते कि कोई हिन्दू मुझे मुसलमान सिद्दीक़ी से बढ़ कर नहीं मिला और यही हालत सिद्दीक़ी की थी.
वर्मा जी की चार बहनें थीं तीन उनसे बड़ी और एक उनसे छोटी. 
पिता जी अपनी ज़िन्दगी में ही तीन बेटियों को निमटा गए थे. 
मरते वक़्त वह खाली हाथ हो गए थे, अपने विरासत और अपनी कमाई तीनों बेटियों की शादियों में खर्च कर गए थे और चौथी छोटी को बेटे के कन्धों पर बैठा कर स्वर्ग सिधार गए. 
छोटी के साथ एक बड़ा मसला यह था कि वह मांगलिक थी. 
इधर सिद्दीक़ी की शादी को पांच हो गए थे, एक अदद गुड़िया पत्नी उन्हें खेलने के लिए हवाले कर चुकी थी. इस के बाद उनके साथ बड़ा हादसा हो गया कि उनकी बीवी ट्रेन दुर्घटना में जन्नत नशीन हो गई. इस वक़्त गुडिया चार साल की हो चुकी थी. 
वर्मा अपनी माता जी के साथ छोटी को संभालते हुए समस्याओं से जूझ रहे थे, 
अभी तक न अपनी शादी कर पाए थे न छोटी की. 
दोनों दोस्त अब तक एक दूसरे के ख़ुशी व् गम में शरीक रहे.  
सिद्दीक़ी जब चार साल  की गुडिया के लिए मुसीबत में पड गए तो वर्मा ने उनसे कहा, 
यार तू परेशान न हो तेरी एक माँ और एक बहन अभी ज़िन्दा हैं. 
गुडिया को उनकी गोद में डाल दे जब तक कोई दूसरा इंतज़ाम न हो जाए. 
वर्मा का इतना दबाव पड़ा कि सिद्दीक़ी को इस पर राज़ी होना पड़ा. 
गुड़िया को पाकर वर्मा के वीरान घर में जैसे बहार आ गई हो. 
गुडिया को देखने हर रोज़ सिद्दीक़ी आ जाते. 
गुड़िया दादी और फुफ्फू के साथ रच बस गई. 
एक रोज़ सिद्दीक़ी ने डरते हुए वर्मा से कहा, 
यार तुमसे एक बात कहने से डर  रहा हूँ, 
बहुत हिम्मत जुटाने के बाद भी नहीं कह पा रह हूँ. 
वर्मा ने पूछा क्या बात है, मेरे साथ संकोच कैसा ? 
बुरा तो नहीं मान जाओगे ? डर लगता है कि कहीं तुमको खो न दूँ ? 
वर्मा ने थपकी देकर कहा, अब कह भी डालो, मैं तुमको खो नहीं सकता. 
छोटी को गुड़िया की फुफ्फू की जगह गुड़िया की माँ बना दे. 
वर्मा अपने दोस्त का मुंह ही देखते रह गए, 
मगर वह तेरी बहन है ? 
हर लड़की शादी और निकाह से पहले बहन होती है , 
सिर्फ सगी बहन के सिवा या फिर हमारे यहाँ दूध शरीकी हो. 
मगर हिन्दू और मुसलमान में शादी कैसे हो सकती है ? 
जैसे दोस्ती. हम दोस्त हो सकते हैं, 
तू वर्मा हो सकता है और मैं सिद्दीक़ी. 
हमारी दोस्ती को असली ज़रुरत इस वक़्त है कि एक दूसरे की ज़रूरत को समझे.
समाज सेकेंडरी मैटर है, जो होगा, देखा जाएगा. 
 वर्मा नें आहत होकर दोस्त को सीने से लिपटा लिया . 
वर्मा ने माँ से बात की, माँ ने कहा- - - 
मैं सड़े गले संस्कार से मुक्त होना चाहती हूँ, जैसा चाहो तुम दोनों, करो. 
बात छोटी के सामने आई तो उसने कहा गुडिया मेरी जान बन चुकी है, 
इसके अलावा मैं कुछ नहीं जानती. 
जब अपना घर हमवार हो चुका तो बात दबे क़दमों समाज तक पहुंची.
दुर्गावाहिनी के कान खड़े हो गए. 
सिद्दीक़ी के जान के लाले पड गए.  
वर्मा की माँ ने प्रेस कान्फ्रेंस बुलाई. 
उनकी तक़रीर ने मीडिया को शर्म से पानी पानी कर दिया, 
किसी के पास कोई सवाल नहीं बचा कि 
असली माँ दुर्गा के सामने कोई खड़ा रह सके.

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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