Wednesday 29 November 2017

Hindu Dharm Darshan 116



गीता और क़ुरआन

भगवान् श्री कृष्ण कहते हैं - - -
>मुझ भगवान् में अपने चित्त को स्थिर करो
और अपनी सारी  बुद्धि मुझ में लगाओ.
इस प्रकार तुम निःसंदेह मुझ में वास करोगे.

>>हे अर्जुन ! हे धनञ्जय !!
 यदि तुम अपने चित को अविचल भाव से मुझ पर स्थिर नहीं कर सकते 
तो तुम भक्ति योग की विधि-विधानों का पालन करो.
इस प्रकार तुम मुझे प्राप्त करने की चाह पैदा करो. 

>>> यदि तुम यह अभ्यास नहीं कर सकते तो 
घ्यान के अनुशीलन में लग जाओ. 
लेकिन ज्ञान से श्रेष्ट ध्यान है
और ध्यान से भी श्रेष्ट कर्म फलों का परित्याग, 
क्योकि ऐसे त्याग से मनुष्य को मन शान्ति प्राप्त हो सकती है.
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय - 12  श्लोक -8 -9 -12  

*धार्मिकता मानव मस्तिष्क की दासता चाहती है. 
उसे तरह तरह के प्रलोभन देकर मनाया जाए 
और अगर इस पर भी न पसीजे तो इसे डरा धमका कर 
जैसा कि भगवान् अपने विकराल रूप अर्जुन को दिखलाता है 
कि डर के मारे अर्जुन की हवा निकल जाती है.  
गीता सार को जो प्रसारित और प्रचारित किया जाता है
 वह अलग अलग श्लोकों में वर्णित टुकड़ों का समूह समूह है 
जो अलग अलग संदर्भित है. 
हर टुकड़ा युद्ध को प्रेरित करने के लिए है 
मगर उसे संयुक्त करके कुछ और ही अर्थ विकसित किया गया है.  
आखिर भगवान् अपनी भक्ति के लिए क्यों बेचैन है ? 
कहते हैं कर्म करके फल को भूल जाओ. 
भला क्यों ? 
फल के लिए ही तो मानव कोई काम करता है. 
फल भक्त भूल जाए ताकि इसे भगवान् आसानी से हड़प ले. 
हम बैल हैं ? कि दिन भर हल जोतें और सानी पानी देकर मालिक फसल को भोगे ? यह गीता का घिनावना कार्य क्रम है जिसके असर में मनुवाद ठोस हुवा है 
और मानवता जरजर.
पडोसी चीन में धर्म को अधर्म क़रार दे दिया गया, 
वह भारत से कई गुणा आगे निकल गया है. 
यहाँ आज भी इनके बनाए हुए शूद्र और आदिवासी अथवा मूल निवासी ग़रीबी रेखा से निकल ही नहीं पा रहे. 

और क़ुरआन कहता है - - - 
>मुहम्मदी अल्लाह के दाँव पेंच इस सूरह में मुलाहिज़ा हो - - -
"जो लोग काफ़िर हुए और अल्लाह के रस्ते से रोका, अल्लाह ने इनके अमल को क़ालअदम (निष्क्रीय) कर दिए. और जो ईमान लाए, जो मुहम्मद पर नाज़िल किया गया है, अल्लाह तअला इनके गुनाह इनके ऊपर से उतार देगा और इनकी हालत दुरुस्त रक्खेगा."
सूरह मुहम्मद - ४७ -पारा २६- आयत (१-२)

मुहम्मद की पयंबरी भोले भाले इंसानों को ब्लेक मेल कर रही है जो इस बात को मानने के लिए मजबूर कर  रही है कि जो गैर फ़ितरी है. क़ुदरत का क़ानून है कि नेकी और बदी का सिला अमल के हिसाब से तय है,ये  इसके उल्टा बतला रही है कि अल्लाह आपकी नेकियों को आपके खाते से तल्फ़ कर देगा. कैसी बईमान मुहम्मदी अल्लाह की खुदाई है? किस कद्र ये पयंबरी झूट बोलने  पर आमादः है.


जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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