Thursday 11 January 2018

Hindu Dharm Darshan-126



वेद दर्शन - - -     
      
 खेद  है  कि  यह  वेद  है  . . . 

सुन्दर नयनों वाले, जरा रहित एवं शोभन गति वाले अग्नि, हव्य दाता !  यजमान के शत्रुओं को नष्ट करने के लिए बुलाए गए हैं .
द्वतीय मंडल सूक्त  8-2 

हजारों वर्षों से यजमान का सम्मान देकर हिदू समाज को इन निर्मूल मन्त्रों से लूटा जा रहा है. बाम्हन हिदू समाज के जोक हैं.
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शत्रु नाशक एवं स्वयं शोभित अग्नि की स्तुति में ऋग वेद के सभी मन्त्रों का प्रयोग किया जाता है. अग्नि समस्त शोभओं को धारण करते हैं. 
द्वतीय मंडल सूक्त  8-5 

मुसलमानों को क़यामत की आग से डराया जाता है और हिदुओ को इसी अग्नि से लुभाया जाता है.

ग्वेद / डा. गंगा सहाय शर्मा / संस्तृत साहित्य प्रकाशन नई दिल्ली )


जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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