Tuesday 30 January 2018

Hindu Dharm Darshan-134 -V 17



वेद दर्शन             
खेद  है  कि  यह  वेद  है  . . . 

हे  अध्वर्युजनो ! इंद्र के लिए सोम ले आओ एवं चमचों के द्वारा मादक सोम को अग्नि में डालो. इस सोम को पीने के लिए वीर इंद्र सदा इच्छुक रहते हैं. तुम काम वर्धक इंद्र के निमित्त सोम दो, क्यों कि वह इसे चाहते हैं.
द्वतीय मंडल सूक्त 14-1 

कामुक इंद्र देव के लिए शराब की महिमा गान ?. 
इंद्र भगवान् की चाहत काम उत्तेजक सोमरस ??. 
भगवान् और मानव से इनकी फरमाइश??? 
जिन्हें गर्व हिंदुत्व का है वह कहाँ हैं ?
(ऋग्वेद / डा. गंगा सहाय शर्मा / संस्तृत साहित्य प्रकाशन नई दिल्ली )


जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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