Tuesday 27 February 2018

Hindu dharm darshaqn G 37



गीता और क़ुरआन

अर्जुन भगवान् कृष्ण पूछते हैं - - -
>हे भगवान् !  
हे पुरुषोत्तम !!
ब्रह्म क्या है ?
आत्मा क्या है ? 
सकर्म क्या है ? 
यह भौतिक जगत क्या है ? 
तथा देवता क्या हैं ? 
कृपा करके यह सब मुझे बताइए.
**हे मधु सूदन ! यज्ञ का स्वामी कौन है ? 
और वह शरीर में कैसे रहता है ? 
और मृत्यु के समय भक्ति में लगे रहने वाले आपको कैसे जान जाते हैं ?
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय  - 8 - श्लोक -1+2+3   
>भगवान् कृष्ण जवाब देते हैं - - - 
अविनाशी और दिव्य जीव ब्रह्म कहलाता है 
और उसका नित्य स्वभाव आध्यात्म या आत्म कहलाता है. 
जीवों के भौतिक शरीर से संबंधित गतिविधि 
कर्म या सकाम कर्म कहलाती है. 

>अर्जुन के सवाल आज भी ज्यों के त्यों जीवित और निरुत्तरित हैं. 
भगवन के जवाब धार्मिक झोल-झाल हैं.

और क़ुरआन कहता है - - - 
'आप कह दीजिए - - - 
लोगो!
मैं तुम सब की तरफ उस अल्लाह का भेजा हुवा हूँ, 
जिसकी बादशाही है, तमाम आसमानों और ज़मीन पर है - - - 
अल्लाह पर ईमान लाओ और नबी उम्मी पर 
जो अल्लाह और उसके एहकाम पर ईमान रखते हैं''
अलएराफ़ ७ -नवाँ पारा आयत (१५८)

>लोगों को अल्लाह का इल्म भली भांत था जिसे वह मानते थे मगर जनाब उसकी तरफ से नकली दूत बन कर सवार हो, वह भी उम्मी. 
तायाफ़ के हुक्मरां ने ठीक ही कहा थ कि क्या अल्लाह को मक्का में कोई पढ़ा लिखा ढंग का आदमी नहीं मिला था जिसे अपना रसूल बनाता और रुसवा करके उसके दरबार से निकले. अल्लाह ने तुम्हारी कोई खबर न ली. जाहिलों को लूट मार का सबक सिखला कर कामयाब हुए तो किया हुए.


जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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