Thursday 16 August 2018

Hindu Hindu Dharm Darshan 214


शपथ गीता की, जो कहूँगा सच कहूँगा. (18)

भगवान् कृष्ण ने कहा 
मैंने इस अमर योग्यता का उपदेश सूर्य देव विवस्वान को दिया 
और विवस्वान ने मनुष्यों के पिता मनु को उपदेश दिया 
और मनु ने इसका उपदेश इक्षवाकु को दिया.
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय  -4 - श्लोक -1 -
*
 वाह भगवन् !
तुम तो अल्लामियां से भी चार क़दम आगे निकले. 
वह कहता है कि दिन निकल कर सूरज को प्रकाशित करता है 
और रात आकर सूरज को ढक लेती है. 
रात और दिन एक दूसरे का पीछा करते हैं, 
कभी आपस में मिल नहीं सकते चाहे जितना प्रयास करें. 
आप के तो माशा अल्लाह !!!
"सूर्य देव विवस्वान " शागिरदों में ठहरा,  
सूरज जो ब्रह्माण्ड को गर्मी देता है वह आप से पाठ पढ़ता है ? 
और यह मनु कहीं आदम की तरह जन्नत से टपके हुए आदमियों के बाप तो नहीं ? 
मगर वह अद्भुत थे कि सूर्य देव विवस्वान के सामने बैठ कर आपका ज्ञान समेटते थे. 
इक्षवाकु हाबील क़ाबील आदम पुत्रों का भाई तो नहीं ?
*
और हदीस कहती है - - -
मुहम्मद अपने शागिर्द से कहते हैं, 
क्या तुमको मालूम है कि यह सूरज डूबने के बाद रात को कहाँ जाता है? 
शागिर्द कहता है यह बात अल्लाह जनता है या अल्लाह का रसूल. 
मुहम्मद ने पुलकित होकर बतलाया, 
सूरज पश्चिम में जाकर अल्लाह को सजदा करता 
और फिर वापस जाने की इजाज़त मांगता है, 
वह वापस फिर पूरब से निकलता है. 
जिस दिन अल्लाह की इजाज़त नहीं होगी, वह पश्चिम से निकलेगा.
उस रोज़ क़यामत आ जाएगी.
***
ऐसे पोंगों की बातों को भगवान् और अल्लाह का कथन माना जाता है.
उसके बाद भी हिन्दू और मुसलमान मुझे समझाने की कोशिश करते हैं कि इनके ग्रन्थ की बातें समझने के लिए ज्ञान चाहिए. 
कोई है जो भगवान और अल्लाह की इस बकवास को समझे में समर्थ हो?
***

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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