Sunday 10 February 2019

खेद है कि यह वेद है - - -1६

खेद  है  कि  यह  वेद  है  (१६-१७)

हे  अध्वर्युजनो ! इंद्र के लिए सोम ले आओ एवं चमचों के द्वारा मादक सोम को अग्नि में डालो. इस सोम को पीने के लिए वीर इंद्र सदा इच्छुक रहते हैं. तुम काम वर्धक इंद्र के निमित्त सोम दो, क्यों कि वह इसे चाहते हैं.
द्वतीय मंडल सूक्त 14-1 
कामुक इंद्र देव के लिए शराब की महिमा गान ?. 
इंद्र भगवान् की चाहत काम उत्तेजक सोमरस ??. 
भगवान् और मानव से इनकी फरमाइश??? 
जिन्हें गर्व हिंदुत्व का है वह कहाँ हैं ?

जल धारण करने वाली नदियाँ आपस में मिलकर चारो ओर बह रही हैं एवं जल के स्वामी सागर को भोजन पहुँचती हैं, नीचे की ओर बहने वाले जलों का रास्ता एक सामान है, जिसे इंद्र ने प्राचीन काल में ये सब काम किए हैं, वह प्रशंशा के योग्य हैं.
द्वतीय मंडल सूक्त 13-2 
अर्थात विश्व की सारी नदियाँ राजा इन्दर की परिश्रम के परिणाम स्वरूप हैं. 
क्या हम अपने बच्चों को यह शिक्षा  और ज्ञान दे सकते है? 
योरोप के सभ्य समाज के लोग वेदों को पढ़कर हिनुस्तानियों को क्या दर्जा देंगे?
(ऋग्वेद / डा. गंगा सहाय शर्मा / संस्तृत साहित्य प्रकाशन नई दिल्ली )
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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