Tuesday 12 February 2019

खेद है कि यह वेद है - - -18


खेद  है  कि  यह  वेद  है  (18)

हे यज्ञ कर्म करता अध्वर्युजनो ! तुम जो चाहते हो वह इंद्र के लिए सोमरस देने पर तुरंत मिल जाएगा. 
याज्ञको ! हाथों द्वारा निचोड़ा हुवा सोम रस लाकर इंद्र के लिए प्रदान करो.
द्वतीय मंडल सूक्त 14-8 
यज्ञ आयोजन करने वालों को पंडित आश्वासन सोमरस के चढ़ावे से इंद्र प्रसन्न हो जाएगे. 
ध्यान रख्खें वह ओम्रस हाथों द्वारा निचोड़ा हो, न कि पैरों द्वारा अथवा मशीनों द्वारा.
धन्य है पोंगा पंडितो.
(ऋग्वेद / डा. गंगा सहाय शर्मा / संस्तृत साहित्य प्रकाशन नई दिल्ली )


जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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