Tuesday 25 February 2020

शपथ गीता की, जो कहूँगा सच कहूँगा. (29)

शपथ गीता की, जो कहूँगा सच कहूँगा. (29)

भगवान् कृष्ण कहते हैं - - -
>जो मुझे सर्वत्र देखता है 
और सब कुछ मुझमें देखता है, 
उसके लिए न तो मैं कभी अदृश्य होता हूँ 
और न वह मेरे लिए अदृश्य होता है.
**जो योगी मुझे और परमात्मा को अभिन्न जानते हुए 
परमात्मा की भक्ति पूर्वक सेवा करता है , 
वह हर प्रकार से मुझमें सदैव स्थित रहता है.
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय  -6  - श्लोक -30 -31 

>जिधर देखता हूँ , उधर तू ही तू है,
न तेरा स जलवा न तेरी सी बू है.
भगवन श्री ! दुन्या ने तो आपका अंत देख कर सब कुछ देख लिया 
जब आप बिना खाना पानी बे यार व् मददगार अठ्ठारह दिनों तक आम के बाग़ में तड़प तड़प कर मरे. आपकी वास्तविकता यह है. लेखनी आप को चने की झाड पर चढ़ाए फिरे.
और क़ुरआन कहता है - - - 
"अल्लाह बड़ी नरमी के साथ बन्दों को अपनी बंदगी की अहमियत को समझाता है. 
काफिरों की सोहबतों के नशेब ओ फ़राज़ समझाता है. 
अपनी तमाम खूबियों के साथ बन्दों पर अपनी मालिकाना दावेदारी बतलाता है. 
दोज़ख पर हुज्जत करने वालों को आगाह करता है. 
कुरान से इन्हिराफ़ करने वालों का बुरा अंजाम है, 
ग़रज़ ये कि दस आयातों तक अल्लाह कि कुरानी तान छिडी रहती है 
जिसका कोई नतीजा अख्ज़ करना मुहाल है.
"सूरह आले इमरान ३ तीसरा परा आयात (16-26)
***

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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