Monday 6 April 2020

शपथ गीता की, जो कहूँगा सच कहूँगा. (50)


शपथ गीता की, जो कहूँगा सच कहूँगा. (50

अर्जुन चकित होकर कहता है - - -
>आप आदि हैं मध्य तथा अंत से रहित हैं. 
आपका यश अनंत है. 
आपकी असंख्य भुजाएं हैं 
और सूर्य तथा चंद्रमा आपकी आँखें हैं. 
मैं आपके मुख से प्रज्वलित अग्नि निकलते और आपके तेज से इस संपूर्ण ब्रह्माण्ड को जलते हुए देख रहा हूँ.

>>यद्यपि आप एक हैं, 
किन्तु आप आकाश तथा सारे लोकों एवं उनके बीच के समस्त अवकाश में व्याप्त हैं. 
हे महा पुरुष ! 
आपके इस अद्भुत तथा भयानक रूप को देख कर सारे  लोक भयभीत हैं. 

>>>हे महाबाहू ! 
आपके इस अनेक मुख, नेत्र,बाहू, जंघा, पेट 
तथा भयानक दाँतों वाले विराट रूप को देख कर देव गण सहित 
सभी लोक अत्यंत विचलित हैं और उन्हीं की तरह मैं भी. 

>>>>हे सर्व व्यापी विष्णु ! 
नाना ज्योतिर्मय रंगों से युक्त आपको आकाश का स्पर्श करते, 
मुंह फैलाए तथा बड़ी बड़ी चमकती आँखें निकाले देख कर 
भय से मेरा मन विचलित है. 
मैं न धैर्य धारण कर पा रहा हूँ न मानसिक संतुलन ही पा रहा हँ.

श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय - 11  श्लोक -19-20-23 -24  
*भगवान् कृष्ण के ऐसे फूहड़ रूप, क्या किसी सभ्य पुरुष को नागवार नहीं होगा ?
ऐसी बेहूदा चित्रण. गंभीर हिन्दुओं के लिए यह सोचने का विषय है. 
हमने एक छोटा सा जीवन जीने के लिए पाया है या इन आडंबरों को ढोने केलिए ?
पाई है हमने जहाँ में गुल के मानिंद ज़िन्दगी,
रंग बन कर आए हैं, बू बन के उड़ जाएँगे हम. 
और क़ुरआन कहता है - - - 
>''और अगर आप को तअज्जुब हो तो उनका ये कौल तअज्जुब के लायक है 
कि जब हम खाक हो गए, क्या हम फिर अज़ सरे नव पैदा होंगे. 
ये वह लोग हैं कि जिन्हों ने अपने रब के साथ कुफ़्र किया 
और ऐसे लोगों की गर्दनों में तौक़ डाले जाएँगे 
और ऐसे लोग दोज़खी हैं.वह इस में हमेशा रहेंगे.''
सूरह रअद १३ परा-१३ आयत (५)
यहूदियत से उधार लिया गया ये अन्ध विश्वास मुहम्मद ने मुसलामानों के दिमाग़ में भर दिया है कि रोज़े महशर वह उठाया जाएगा, फिर उसका हिसाब होगा और आमालों की बुन्याद पर उसको जन्नत या दोज़ख की नई ज़िन्दगी मिलेगी. 
आमाले नेक क्या हैं ? 
नमाज़, रोज़ा, ज़कात, हज, और अल्लाह एक है का अक़ीदा जो कि दर अस्ल नेक अमल हैं ही नहीं, बल्कि ये ऐसी बे अमली है जिससे इस दुन्या को कोई फ़ायदा पहुँचता ही नहीं, आलावा नुकसान के.
हक तो ये है कि इस ज़मीन की हर शय की तरह इंसान भी एक दिन हमेशा के लिए खाक नशीन हो जाता है बाकी बचती है उस की नस्लें जिन के लिए वह बेदारी, खुश हाली का आने आने वाला कल । वह जन्नत नुमा इस धरती को अपनी नस्लों के वास्ते छोड़ कर रुखसत हो जाता है 
या तालिबानियों के वास्ते .
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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