Wednesday 13 January 2021

जिंस ए लतीफ़


जिंस ए लतीफ़ 

बड़े ही पुर कशिश शब्द हैं, जिंस ए लतीफ़. 
जिंस के लफ्ज़ी मअने है 'लिंग' 
लतीफ़=लुत्फ़ देने वाला. 
अर्थात 'लिंगाकर्षण'.  
जिंस ए लतीफ़ उर्दू में खुला और प्राकृतिक सच है 
जो कि हिंदी में शायद संकोच और लज्जा जनक हो सकता है. 
मैंने दो बच्चों को देखा कि सुबह एक साथ दोनों खुली छत पर जागे, 
उट्ठे और पेशाब करने चले गए, 
मैंने देखा कि लड़का अपनी बहन की नंग्नता की तरफ़ आकर्षित था, 
बार बार जगह बदल कर वह इसे देखना चाहता था. 
लड़की ने भी लड़के की जिज्ञासा को महसूस किया मगर ख़ामोश पेशाब करती रही. 
यह दोनों भाई बहन थे और उम्र 5-6 साल की थी, 
मासूम किसी तरह से गुनाहगार नहीं कहे जा सकते. 
एक दूसरे के जिंस ए लतीफ़ की ओर आकर्षित थे 
जो कि क़ुदरती रद्दे अमल था. 
जिन बच्चों में यह प्रवृति नहीं होती उन पर नज़र रखनी चाहिए कि 
कहीं वह एबनार्मल तो नहीं.
नादान माँ बाप को यह फ़ितरत बुरी मालूम पड़ती है, 
वह इस उम्र से ही टोका टाकी शुरू कर देते हैं.
मगर समझदार वालदैन के लिए यह ख़ुश खबरी है कि बच्चे नार्मल हैं.
यही एबनार्मल बच्चे बड़े होकर ब्रहमचारी, योगी, योगिनें, यहाँ तक कि किन्नर  और होम्यो - - - आदि बन जाते हैं. 
ऐसे लोग बड़े होकर दुन्या में अपना मुक़ाम भी पाना चाहते हैं, 
यदि उग्र हुए तो धार्मिक परिधानों के साथ दाढ़ी, चोटी और जटा की वेषभूषा अपनाते हैं. यह आधे अधूरे और नपुंसक लोग कुदरत का बदला समाज से लेते हैं. 
अपने अधूरेपन का इंतेक़ाम समाज में नफ़रत फैला कर संतोष पाते हैं. 
आजकल मनुवादी व्यवस्था में इनका बोलबाला है.
***

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

No comments:

Post a Comment