tag:blogger.com,1999:blog-1343468070249503733.post1462153687278651112..comments2023-09-13T01:41:16.688-07:00Comments on <b>हर्फ़-ए-ग़लत-ll</b> <sub>(उम्मी का दीवान)</sub>: सूरह निसाँअ ४ चौथा पाराजुनैद 'मोमिन'http://www.blogger.com/profile/13449175791700438349noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-1343468070249503733.post-67819520981935153722011-12-07T08:29:44.253-08:002011-12-07T08:29:44.253-08:00jeem momin ..I don't know much about you....
...jeem momin ..I don't know much about you....<br /><br />but one this is sure..I loved some of your lines...and this one for you <br /><br /><br />क्यु मंदीर मस्जिद गिरजाघर बनाये<br />जब तु उसकी राह पर ना चल पाए<br />वो कहा कहे पूजन को,<br />तु ही नये-नये तरीके अपनाए<br />वो कहा बंधा है,<br />जो तु उसे बांधे<br />सीधी सी बात है,<br />तु कहा उसे समझे<br />जो कन कन में बसा है,<br />वो तेरी चार दिवारीओं में कैसे समाए।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1343468070249503733.post-5338392841253797972011-08-14T06:43:41.975-07:002011-08-14T06:43:41.975-07:00जनाब अख्तर साहब !
पहली बार कोई मुसलमानों में से पू...जनाब अख्तर साहब !<br />पहली बार कोई मुसलमानों में से पूरी तरह जगा है. मेरी ख़ुशी की इन्तहा है. आप का शुक्रिया. मैं आपका पता ,फोन नंबर, कुछ भी नहीं पूछूंगा, आप मुसलमानों को अन्दर से बेदार करिए, खुद को बचाते हुए. मत डरिए बहुत ज्यादह. अपनी शख्सियत को यूं ही दफन मत होने दीजिए.मैं नमाज़ रोज़ा कुछ भी, एलानिया नहीं करता. कभी कोई पूछता है तो कह देता हूँ कि मेरा हर फेल नमाज़ होता है. किसी से बहेस मुबाहिसा मत करिए मगर अप जो कुछ अंदर से है, वही बाहर से हो जाइए. ज़ाहिर बातिन को यकसाँ रखिए, आपकी कद्र समाज में खुद बखुद बढ़ जायगी. मेरे पैरवी में लाशूरी तौर पर आधा समाज है. उनकी समझ को शऊर आने की ज़रुरत है.<br />हमारे साथ आइए, हमारे मज़ामीन तवज्जो तलब हैं, उनसे आप फायदा उठा सकते हैं. अपने साथियों को भी इसकी तरफ रागिब करिए.<br />एक बार फिर शुक्रया.जुनैद 'मोमिन'https://www.blogger.com/profile/13449175791700438349noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1343468070249503733.post-71640148078624508322011-08-13T21:58:28.097-07:002011-08-13T21:58:28.097-07:00आपके लिखे अल्फाज़ पढ़कर मेरे रोगटे खड़े होने लगते...आपके लिखे अल्फाज़ पढ़कर मेरे रोगटे खड़े होने लगते हैं ये सोचकर कि कैसे एक उम्मी इंसान ने इतना शातिर ताना-बाना बुन दिया जिसमें आज के पढ़े-लिखे मुसलमान नौजवान भी बेहिचक आंखें मूंद कर खुशी-खुशी फंसते चले जाते हैं. अगर अंधेरे में जाते इंसानों को सही राह दिखाने वाले को ही सच्चे मायनों में 'नबी' ओहदे से नवाज़ा जाता है तो यक़ीनन आप उन सभी नौजवान-बूढ़े मर्द-औरत-बच्चे मुसलमानों को इस जाल से आज़ादी दिलाने के लिए एक असली नबी के तौर पर इस दुनिया में आए हैं जो मजलूमों की तरह उस ख़याली अल्लाह के जेहनी गुलाम बने हुए हैं जो दरअसल उसके एजेंट बने ओलिमान की नापाक सोच के सिवाय कहीं नहीं है. <br /><br />मेरी आंखें खोलने के लिए आपका बेहद शुक्रिया, लेकिन मेहरबानी करके मुझसे मेरा पता, मोबाइल नं., ई-मेल वगैरह न पूछें क्योंकि मेरे मोहल्ले तो छोडि़ए मेरे खानदान के ही लोग मेरा सिर कलम कर देंगे अगर उन्हें एहसास हो गया कि मैं इस झूठे और मक्कारी से भरे मकड़जाल से आज़ाद हो गया हूँ जिसमें वो ताउम्र तड़पना चाहते हैं और मुझ जैसे और लोगों को भी हमेशा-हमेशा के लिए तड़पने के लिए मजबूर करना चाहते हैं. <br /><br />एक बार फिर से आपका तहेदिल से शुक्रिया, अब तो ये भी नहीं कह सकता कि अल्लाह आपको खुशी दे क्योंकि उसे तो सिर्फ अपनी गुलामी करने वाले और डर के मारे पीले पड़े हुए जानवर ही पसंद आते हैं जो उसकी सनक भरी सोच के पीछे अपना खून भी बहाने को तैयार रहें और दूसरे मजहबों को मानने वाले उन मासूमों का भी जिन्हें पता ही नहीं है कि दरअसल मुसलमान कितना तकलीफदेह अजाब भुगतते हैं इस शैताननुमा अल्लाह और उसके डकैतनुमा रसूल को अपना रहनुमा मानकर.शाहिद अख़्तरnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1343468070249503733.post-14787188411379396782011-08-12T23:22:36.106-07:002011-08-12T23:22:36.106-07:00bahut khoon... in baaton ko har ek ko samjhana cha...bahut khoon... in baaton ko har ek ko samjhana chahiye..भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.com