tag:blogger.com,1999:blog-1343468070249503733.post6617102197667675928..comments2023-09-13T01:41:16.688-07:00Comments on <b>हर्फ़-ए-ग़लत-ll</b> <sub>(उम्मी का दीवान)</sub>: सूरह कुहफ़ १८ (पहली किस्त)जुनैद 'मोमिन'http://www.blogger.com/profile/13449175791700438349noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-1343468070249503733.post-27867304882184255562012-03-22T07:36:39.960-07:002012-03-22T07:36:39.960-07:00शर्म तुमको मगर नहीं आती जीम 'मोमिन' निसारु...शर्म तुमको मगर नहीं आती जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान इस धरती का हक अदा करने की बजाए, उस पर बोझ हो हर हर बात में सस्ती सियासत और बेहूदा पेवंद कारी क़ी बू आती है. अफ़सोस क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैंMA SIDDIQUIhttps://www.blogger.com/profile/00919520882100819993noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1343468070249503733.post-3693413985729407542012-03-22T02:53:14.768-07:002012-03-22T02:53:14.768-07:00धर्म - जाति के नाम पर खून बहाने से बड़ा पाप कोई हो ...धर्म - जाति के नाम पर खून बहाने से बड़ा पाप कोई हो ही नहीं सकता.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.com