मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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क़ुरआन के झूट - - - और तौरेती सदाक़त
मरयम
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क़ुरआन में कई अच्छी और कई बुरी हस्तियों का नाम बार बार आता है , जिसमे उनका ज़िक्र बहुत मुख़्तसर होता है। पाठक की जिज्ञासा उनके बारे में बनी रहती है कि वह उनकी तफ्सील जानें। मुहम्मद ने इन हुक्मरानों का नाम भर सुना था और उनको पैग़म्बर या शैतान का दरजा देकर आगे बढ़ जाते हैं , उनका नाम लेकर उसके साथ मन गढ़ंत लगा कर क़ुरआन पढ़ने वालों को गुमराह करते हैं। दर अस्ल यह तमाम हस्तियां यहूद हैं जिनका विवरण तौरेत में आया है, मैं उनकी हक़ीक़त बतलाता हूँ , इससे मुहम्मदी अल्लाह की जिहालत का इन्किशाफ़ होता है।
मरयम
मरयम या ईसा की ज़ात पर क़लम चलाना इस नाचीज़ की गुस्ताखी होगी और सूरज को चराग दिखलाने जैसा होगा , मगर क़ुरआन में इनके बारे में जो कुछ आया है , उसके मुताबिक़ मुसलामानों की जानकारी इनके बारे में एक फरेब होगा। मुस्लिम अवाम को इनकी जानकारी देना ज़रूरी है ,
ईसा से पहले (३१-१४ साल) ,फिलिस्तीन में यहूदी शहनशाह अगस्ट्स का राज था। उसने मुल्क में मर्दुम शुमारी का हुक्म दिया जिसके तहत नाज़रत का बढ़ई युसूफ अपनी मंगेतर मरयम को लेकर गलेलिया के क़स्बा बेल्थेहम गया। वहां उसको मुसाफिर खाने में जगह न मिली तो अस्तबल में ही रहना पड़ा। इसी अस्तबल में मरयम ने बच्चा जना। आठवें दिन बच्चे का वहीँ पर खतना हुवा। बच्चे का नाम योसो रखा गया.
बारह साल बाद युसूफ और मरयम अपने बेटे को लेकर पास्का का त्यौहार मनाने योरोसलाम गए , वहां योसो भीड़ में खो गया। माँ बाप बेटे को ढूंढने में हलकान हो गए। तीन दिन बाद मरयम ने बेटे को एक मंदिर में पाया जोकि पुजारी की पनाह में था। मरयम ने योसो को डांटा कि वहां तेरा बाप परेशान बैठा है, घर जाने के लिए के लिए और तुम यहाँ बैठे हुए हो ?
योसो ने कहा आपको नहीं मालूम कि मैं अपने घर में आ गया हूँ। यहीं पर मेरे बाप हैं।
योसो वहीँ का होकर रह गया। दीन दुख्यों की सेवा करता , दीन की तब्लीग करता।
बाइबिल के एक बाब के मुताबिक़। . . .
गाब्रील (जिब्रील) खुदा के हुक्म से गलेलिया के क़स्बे नाज़रात गया जहाँ कुवांरी मरयम रहती थी। उसकी मंगनी दाऊद खानदान के एक बढ़ई युसूफ से हो गई थी। गाब्रील ने मरयम को सलाम किया और उसको खुदा का पैगाम सुनाया कि
आप हामला होंगी और एक बच्चे को जन्म देंगी , उसका नाम योसो होगा और वह खुदा का बेटा होगा और दाऊद की मुमलकत क़ायम करेगा। इसकी क़ायम की हुई मुमलकत कभी ख़त्म न होगी। मरयम ने कहा मैं खुदा की बंदी हूँ , उसकी मंशा मुझ पर पूरी होगी।
मरयम अपने बेटे से मिलने और उससे बात करने के लिए तरसती थी। एक बार वह उससे मिली तो। . . .
ईसा अपने शागिर्दों में बैठा बातें कर रहा था कि इससे मिलने इसकी माँ और भाई आए और अंदर अपने आने की खबर भिजवाई।
ईसा ने खबर सुन कर कहा , कौन है मेरी माँ और मेरा भाई ?
उसने महफ़िल में बौठे लोगों की तरफ इशारा करते हुए कहा
देखो यह हैं मेरी माँ और मेरे भाई जो मेरे जन्नत नशीन बाप की मर्ज़ी पर चलते हैं।
इसके बर अक्स ईसा ने यहूदी आलिमों के एतराज़ पर कि यहूदी उसूलों की खिलाफ वर्ज़ी क्यों करते हो ?
ईसा का जवाब था तुम खुदा की मर्ज़ी की खिलाफ काम क्यों करते हो ?
खुदा बाप ने कहा है अपने माँ बाप की इज़्ज़त करो , जो अपने माँ बाप को कोसें उनको सजाए-मौत हो।
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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