गीता और क़ुरआन
भगवान् कृष्ण कहते हैं - - -
हे अर्जुन !
अपने सारे कार्यों को मुझ में समर्पित करके मेरे पूर्ण ज्ञान युक्त होकर,
लाभ की आकाँक्षा से रहित,
स्वामित्व के किसी दावे के बिना
तथा आलस्य से रहित युद्ध करो.
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय अध्याय -3 - श्लोक -30 -
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और क़ुरआन कहता है - - -
"और यकीन मनो की अल्लाह ने इन्हें मुआफ कर दिया
और अगर तुम अल्लाह की रह में मारे जाओ या मर जाओ
तो बिल ज़रुरत अल्लाह के पास की मग्फ़ेरत और रहमत,
उन चीज़ों से बेहतर है जिन को यह लोग जमा कर रहे हैं."
सूरह आले इमरान ३ तीसरा परा आयात (145-158)
" और उन से कहा गया आओ अल्लाह की रह में लड़ना या दुश्मन का दफ़ीअ बन जाना।
वह बोले कि अगर हम कोई लडाई देखते तो ज़रूर तुम्हारे साथ हो लेते,
यह उस वक़्त कुफ़्र से नजदीक तर हो गए,
बनिस्बत इस हालत के की वह इमान के नज़दीक तर थे।"
सूरह आले इमरान ३ तीसरा परा आयात (168)
***इन धार्मिक सिक्कों के दो पहलू ज़रूर हैं मगर इनका मूल्य एक ही है, नफ़रत और सिर्फ़ नफरत.
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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