मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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क़ुरआन के झूट - - - और तौरेती सदाक़त - - -
इस्माईल
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क़ुरआन के झूट - - - और तौरेती सदाक़त - - -
क़ुरआन में कई अच्छी और कई बुरी हस्तियों का नाम बार आता है, जिसमे उनका ज़िक्र बहुत मुख़्तसर होता है. पाठक की जिज्ञासा उनके बारे में बनी रहती है कि वह उनकी तफ्सील जानें. मुहम्मद ने इन हुक्मरानों का नाम भर सुना था और उनको पैग़म्बर या शैतान का दरजा देकर आगे बढ़ जाते हैं, उनका नाम लेकर उसके साथ मन गढ़ंत लगा कर क़ुरआन पढ़ने वालों को गुमराह करते हैं. दर अस्ल यह तमाम हस्तियां यहूद हैं जिनका विवरण तौरेत में आया है, मैं उनकी हक़ीक़त बतलाता हूँ, इससे मुहम्मदी अल्लाह की जिहालत का इन्किशाफ़ होता है.
इस्माईल
इब्राहीम की बीवी सारा ने एक दिन शौहर से कहा कि मैं माँ नहीं बन सकती , इस लिए तुम अपनी मिस्री सेविका को रखैल बना कर रख लो , इस से अवलाद मिल सकती है। इब्राहीम ने सारा की राय मान ली। सारा की मिस्री सेविका का नाम हागार (हाजरा) था। कुछ रोज़ बाद ही वह हामला हो गई तब मुआमला बिगड़ गया क्योंकि वह इतराने लगी , जिसकी वजह से सारा एहसास कमतरी में मुब्तिला हो गई , नतीजतन सारा और इब्राहीम में कहा सुनी होने लगी। तंग आकर इब्राहीम ने सारा को अख्तियार दे दिया कि वह जो दिल चाहे करे , गोया सारा हाजरा को तंग करने लगी , इतना कि हाजरा को घर छोड़ना पड़ा।
हाजरा वीराने में भटकती हुई एक झरने की पास पर पहुँची जो सूर के रास्ते में था , जहाँ इसे एक फरिश्ता मिला जिसने इसकी दिल जोई की। उसने बतलाया कि तेरी अवलाद की नस्लें इतनी हो जाएँगी कि गिनी न जा सकेंगी। इसने हाजरा के पेट में पलने वाले बच्चे का नाम इस्माईल रखने को कहा और कहा इसकी शक्ल जंगली गधे जैसी होगी। वह इंसानी बिरादरी का मुखालिफ होगा। फ़रिश्ते के समझाने बुझाने के बाद हाजरा इब्राहीम के पास वापस चली गई। वहाँ इसने अपने बच्चे को जनम दिया
हाजरा के माँ बन जाने के बाद सारा भी हामला हुई और उसने भी एक बेटे को जन्म दिया जिसका नाम इस्हाक़ पड़ा।
सारा को हाजरा और इसके बच्चे से फिर जलन होने लगी , इसे दोनों का वजूद अपने घर में गवारा न था। हाजरा को अपने बच्चे के साथ एक बार फिर इब्राहीम का घर छोड़ना पड़ा।
सारा के दबाव में आकर इब्राहीम ने एक दिन कुछ खाने का सामान और एक मश्क पानी देकर हाजरा और इस्माईल को घर से निकाल दिया। हाजरा चलते चलते बअर शीबा के वीराने में पहुँच गई और वहां भटकने लगी। खाना और पानी ख़त्म हो गया था , बच्चा भूक और प्यास से बिलखने लगा था। हाजरा से देखा न गया , वह बच्चे से दूर तीर के फ़ासले पर जा बैठी कि इस हालत में अपने बच्चे को मरता नहीं देख सकती थी।
खुदा ने हाजरा पर रहम खाया , उसने जब आँखें खोली तो देखा सामने एक पानी का सोता बह रहा है। फ़ौरन उसने अपने बच्चे को पानी पिलाया और अपनी मशक भरी। इस्माईल इसी मैदान में पला बढ़ा और तीर अंदाज़ बना।
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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