शपथ गीता की, जो कहूँगा सच कहूँगा. (7)
भगवान कृष्ण कहते हैं ---
क्षत्रिय होने के नाते अपने अशिष्ट धर्म का विचार करते हुए
तुम्हें जानना चाहिए कि धर्म के लिए युद्ध करने से बढ़ कर तुमहारे लिए अन्य को कार्य नहीं है
अतः तुम्हें संकोच करने की कोई आवश्यता नहीं.
हे पार्थ!
वे क्षत्रिय सुखी हैं जिन्हें ऐसे युद्ध के अवसर अपने आप प्राप्त होते हैं
जिस से उनके लिए स्वर्गों के द्वार खुल जाते हैं.
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय २ श्लोक 31- 32
*मनुवाद ने मानव जाति को चार वर्गों में बांटे हुए है. हर वर्ग के लिए उसक कार्य क्षेत्र निर्धारित किए हुए है, चाहे भंगियों को जनता के मल-मूत्र उठाना हो या वैश्य के लिए तेलहन पेर कर तेल निकलना हो अथवा क्षत्रिय को युद्ध करना.
भगवान् अर्जुन को धर्म के कर्म बतला रहे हैं.
यह कर्म तो उस पर ईश्वरीय निर्धारण है, कैसे पीछे रह सकता है ?
कुरआन कहता है ---
''ऐ ईमान वालो! जब तुम काफिरों के मुकाबिले में रू बरू हो जाओ तो इन को पीठ मत दिखलाना और जो शख्स इस वक़्त पीठ दिखलाएगा, अल्लाह के गज़ब में आ जाएगा और इसका ठिकाना दोज़ख होगा और वह बुरी जगह है. सो तुम ने इन को क़त्ल नहीं किया बल्कि अल्लाह ने इनको क़त्ल किया और ताकि मुसलामानों को अपनी तरफ से उनकी मेहनत का खूब एवज़ दे. अल्लाह तअला खूब सुनने वाले हैं.''
सूरह -इंफाल - ८ नौवाँ परा आयत (१५-१६-१७)
''निकल पड़ो थोड़े से सामान से या ज़्यादः सामान से
और अल्लाह की राह में अपने माल और जान से जेहाद करो,
यह तुम्हारे लिए बेहतर है अगर तुम यक़ीन करते हो.''
सूरात्तुत तौबा ९ - १०वाँ परा आयत (४१)
क्या गीता और कुरआन के मानने वाले इस धरती को पुर अमन रहने देंगे ?
क्या इन्हीं किताबों पर हाथ रख कर हम अदालत में सच बोलने की क़सम खाते हैं ? ?
धरती पर शर और फ़साद के हवाले करने वाले यह ग्रन्थ
क्या इस काबिल हैं कि इनको हाज़िर व् नाज़िल किया जाए, गवाह बनाया जाए ???
Are janaab ! Musalmano ko samjhaaiye na! Kyun khawah makhawah haath dho kar hindu bhaiyoun ke peeche pade hue hain...
ReplyDeleteSahi kaha ,musalman taaleem me piche hai par inko samjhana mushkil hai !
Delete