खेद है कि यह वेद है (19)
दभीति को उनके नगर से बाहर ले जाने वाले असुरों को इंद्र ने मार्ग में रोका
एवं उनके प्रकाश मान आयुधों को आग में जला दिया.
इसके पश्चात इंद्र ने उन्हें बहुत सी गायें घोड़े और रथ प्रदान किए.
इंद्र ने यह सब सोमरस के नशे में किया.
सूक्त 15-4
ऐसी हरकतें कोई नशे के आलम में ही कर सकता है
कि दुश्मन के प्रकाशमान आयुधों को जला दे
फिर उसको गाएँ घोड़े और रथ दे.
इंद्र की इस हरकत को किसी ने नहीं देखा
अलबत्ता श्लोक रचैता पंडित ने ज़रूर इसे भंग के नशे में लिखा होगा .
***
विवाह की इच्छा से आई हुई कन्याओं को भागता देख कर परावृज ऋषि सब के सामने खड़े हुए.
इंद्र की कृपा से वह पंगु दौड़ा और अँधा होकर भी देखने लगा.
इंद्र ने यह सब सोमरस के मद में किया है.
सूक्त 15-7
आप भांग पीकर इस वेद श्लोक को जितना चाहें और जैसे चाहें कल्पनाओं की दुन्या में कूद सकते हैं मगर मैं समझता हूँ कि वेद ज्ञान को शून्य कर देता है,अज्ञानता में ढकेल देता है.
(ऋग्वेद / डा. गंगा सहाय शर्मा / संस्तृत साहित्य प्रकाशन नई दिल्ली )
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