वेद दर्शन
खेद है कि यह वेद है . . .
अब जिक्र करते है अश्लीलता का :-
वेदों में कैसी-कैसी अश्लील बातें भरी पड़ी है,
इसके कुछ नमूने आगे प्रस्तुत किये जाते हैं
(१) यां त्वा .........शेपहर्श्नीम || (अथर्व वेद ४-४-१) अर्थ :
हे जड़ी-बूटी, मैं तुम्हें खोदता हूँ. तुम मेरे लिंग को उसी प्रकार उतेजित करो
जिस प्रकार तुम ने नपुंसक वरुण के लिंग को उत्तेजित किया था.
*धर्मो के पोलखाते धर्म ग्रंथ में ही निहित हैं. जनता बेवकूफ पंडित जी के प्रवचन सुनने की आदी है जो ऐसी बातों को परदे में रखते हैं.
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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