शपथ गीता की, जो कहूँगा सच कहूँगा. (10)
"हे कुंती पुत्र ! तुम अगर युद्ध में मारे जाओगे तो स्वर्ग प्राप्त करोगे या
यदि तुम जीत जाओगे तो पृथ्वी के सान्राज को भोग करोगे,
अतः तुम संकल्प करके खड़े हो जाओ और युद्ध करो .
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय 2 श्लोक 37
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अल्लाह क़ुरआन में कहता है - - -
"और जो शख़्स अल्लाह कि राह में लड़ेगा वोह ख़्वाह जान से मारा जाए या ग़ालिब आ जाए तो इस का उजरे अज़ीम (महा पुण्य) देंगे और तुम्हारे पास क्या औचित्य है कि तुम जेहाद न करो अल्लाह कि राह में"
सूरह निसाँअ4 पाँचवाँ पारा- आयात (75)
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"वह इस तमन्ना में हैं कि जैसे वोह काफ़िर हैं,
वैसे तुम भी काफ़िर बन जाओ,
जिस से तुम और वह सब एक तरह के हो जाओ.
सो इन में से किसी को दोस्त मत बनाना,
जब तक कि अल्लाह की राह में हिजरत न करें, और
अगर वह रू गरदनी करें तो उन को पकडो और क़त्ल कर दो
और न किसी को अपना दोस्त बनाओ न मददगार"
सूरह निसाँअ4 पाँचवाँ पारा- आयात (89)
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देखिए कि किसका पलड़ा भारी है, अल्लाह का या भगवन का ?
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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