Tuesday 9 October 2018

Hindu Dharm Darshan 237


शपथ गीता की, जो कहूँगा सच कहूँगा. (40)

भगवान् कृष्ण कहते हैं - - -
>जो वेदों का अध्ययन करते तथा सोमरस का पान करते हैं, 
वे स्वर्ग प्राप्ति की गवेषणा करते हुए 
अप्रत्यक्ष रूप से मेरी पूजा करते है.
वे पाप कर्मो से शुद्ध होकर, 
इन्द्र के पवित्र स्वर्गिक धाम में जन्म लेते हैं,
यहाँ वे देवताओं का सा आनंद भोगते है.
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय  -9    श्लोक -20 


और क़ुरआन कहता है - - - 
"हमने इंसान को मिटटी के खुलासे से बनाया, फिर हमने इसको नुत्फे से बनाया, जो कि एक महफूज़ मुकाम में रहा, फिर हमने इस नुत्फे को खून का लोथड़ा बनाया, फिर हमने इस खून के लोथड़े को बोटी बनाई, फिर हमने इस बोटी को हड्डी बनाई, फिर हमने इन हड्डियों पर गोशत चढ़ाया, फिर हमने इसको एक दूसरी ही मखलूक बना दिया, सो कैसी शान है मेरी, जो तमाम हुनरमंदों से बढ़ कर है. फिर तुम बाद इसके ज़रूर मरने वाले हो और फिर क़यामत के रोज़ ज़िन्दा किए जाओगे."
सूरह मोमिनून २३ -आयत (१२-१६)
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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