शपथ गीता की, जो कहूँगा सच कहूँगा. (42)
>यदि कोई जघन्य से जघन्य कर्म करता है,
किन्तु यदि वह भक्ति में रत रहता है तो
उसे साधु मानना चाहिए.
क्योंकि वह अपने संकल्प में अडिग रहता है.
>>वह तुरंत धर्मात्मा बन जाता है और स्थाई शान्ति को प्राप्त होता है.
हे कुंती पुत्र !
निडर होकर घोषणा करदो कि मेरे भक्त का कभी विनाश नहीं होता.
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय -9 श्लोक -30 +31
>कितनी खोखली बात कही है गीता ने. क्या यह गीता अपराधियों की शरण स्थली नहीं ?
बड़े बड़े डाकू भगवान् की इन बातों का सहारा लेकर गुनाहों से तौबा करते हैं, उसके बाद धर्मात्मा बन कर पूजे जाते हैं. उन की लूट आसान हो जाति है, बिना खून खराबे के माल काटते हैं.
और क़ुरआन कहता है - - -
मुगीरा नाम का एक कातिल एक कबीले का विशवास पात्र बन कर सोते में पूरे कबीले का खून करके मुहम्मद के पास आता है और इस्लाम कुबूल कर लेता है, इस शर्त के साथ कि उसका लूटा हवा माल उसका होगा . मुहम्मद फ़ौरन राज़ी हो जाते हैं.
*मुगीरा*= इन मुहम्मद का साथी सहाबी की हदीस है कि इन्होंने (मुगीरा इब्ने शोअबा) एक काफिले का भरोसा हासिल कर लिया था फिर गद्दारी और दगा बाज़ी की मिसाल क़ायम करते हुए उस काफिले के तमाम लोगो को सोते में क़त्ल करके मुहम्मद के पनाह में आए थे और वाकेआ को बयान कर दिया था, फिर अपनी शर्त पर मुस्लमान हो गए थे. (बुखारी-११४४)
गीता और क़ुरआन खोटे सिक्के के दो पहलू हैं, इनका चलन जब तलक देश में प्रचलित रहेगा, भारत के बाशिंदों का दुर्भाग्य कायम रहेगा.
***
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
No comments:
Post a Comment