Monday, 27 April 2020

शपथ गीता की, जो कहूँगा सच कहूँगा. (58)


शपथ गीता की, जो कहूँगा सच कहूँगा. (58)

भगवान् श्री कृष्ण कहते हैं - - -
>वह मेरा परम धाम न तो सूर्य और चंद्रमा के द्वारा प्रकाशित होता है 
और न अग्नि या बिजली से. 
जो लोग वहां पहुँच जाते हैं, वे इस भौतिक जगत में फिर से लौट कर नहीं आते हैं.  
मैं समस्त जीवों के शरीरों में पाचन अग्नि हूँ 
और मैं श्वास प्रश्वास में रहकर चार प्रकार के अन्नों को पचता हूँ.
जो कोई भी शंशय रहित होकर पुरोशोत्तम भगवन के रूप में जाब्ता है,
 वह सब कुछ जानने वाला है. 
अतएव हे भारत पुत्र !
वह व्यक्ति मेरी पूर्ण भक्ति में रत होता है.
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय -15   श्लोक -6 +14 +19  
*जो भाषण और वाणी आजके आधुनिक युग में चाल घात समझी जाती  हैं वही बातें आज भी ईश वानी का दर्जा रखती हैं. 
सोए हुए जन मानस ! 
तुमको कैसे जगाया जाए ? 
तुमको हजारो साल से यह धर्मों के धंधे बाज़ ठगते रहे हैं, 
और कब तक तुम  अपनी पीढ़ियों को इन से ठगाते रहोगे ? 
भले ही तुम उस जाति अथवा वर्ग के हो, 
यह लाभ तुम्हारे लिए भी आज के युग में हराम हो गया है.

और क़ुरआन कहता है - - - 
>"और हमने आपको इस लिए भेजा है कि खुश खबरी सुनाएँ और डराएँ. आप कह दीजिए कि मैं तुम से इस पर कोई मावज़ा नहीं मांगता, हाँ जो शख्स यूँ चाहे कि अपने रब तक रास्ता अख्तियार करे."
सूरह फुरकान-२५-१९वाँ पारा आयत (५७)
डरना, धमकाना, जहन्नम की बुरी बुरी सूरतें दिखलाना और इन्तेकाम की का दर्स देना, मुहम्मदी अल्लाह की खुश खबरी हुई. जो अल्लाह जजिया लेता हो, खैरात और ज़कात मांगता हो, वह भी तलवार की ज़ोर पर, वह खुश खबरी क्या दे सकता है?
***

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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