Tuesday, 12 January 2021

क़ुदरत की बनावट


क़ुदरत की बनावट    

क़ुदरत को अगर ख़ुदा का नाम दिया जाए तो इसका भी कोई जिस्म होगा 
जैसे कि इंसान का एक जिस्म है. 
क़ुरआन और तौरेत की कई आयतों के मुताबिक़ ख़ुद बख़ुद 
इलाही मुजस्सम साबित होता है. 
इंसान के जिस्म में एक दिमाग़ है .
 दिमाग़ रखने वाला ख़ुदा झूठा साबित हो चुका है.

क़ुदरत (बनाम ख़ुदा) के पास कोई दिमाग़ नहीं है बल्कि एक बहाव है, 
इसके अटल उसूलों के साथ. 
इसके बहाव से मख़लूक़ को कभी सुख होता है कभी दुःख. 
ज़रुरत है क़ुदरत के जिस्म की बनावट को समझने की 
जैसे कि मेडिकल साइंस ने इंसानी जिस्म को समझा है 
और लगातार समझने की कोशिश कर रहा है. 
इनके ही कारनामों से इंसान क़ुदरत के सैकड़ों कह्र से नजात पा चुका है. 
मलेरिया, ताऊन, चेचक जैसी कई बीमारियों से 
और बाढ़, अकाल जैसी आपदाओं से नजात पा रहा है. 
जंगलों और ग़ुफाओं की रिहाइश गाह आज हमें पुख़ता मकानों तक लेकर आ गई हैं. हमें ज़रुरत है क़ुदरत बनाम ख़ुदा के जिस्मानी बहाव को समझने की, 
नाकि उसकी इबादत करने की. 

इस रास्ते पर हमारे जदीद पैग़म्बर साइंस दान गामज़न हैं. 
यही पैग़म्बरान वक़्त एक दिन इस धरती को जन्नत बना देंगे.
इनकी राहों में दीन धरम के ठेकेदार रोड़े बिखेरे हुए हैं. 
जगे हुए इंसान ही इन मज़हब फ़रोशों को सुला सकते है.
जागो, आँखें खोलो, अल्लाह के फ़रमान पर ग़ौर करो 
और मोमिन के मशविरे पर, 
फ़ैसला करो कि कौन तुमको ग़ुमराह कर रहा है - - -
***
 
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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