Tuesday, 26 January 2021

इनसे मुंह फेरिए - -


इनसे मुंह फेरिए - -

मुसलमानों को अँधेरे में रखने वाले इस्लामी विद्वान, मुस्लिम बुद्धि जीवी और क़ौमी रहनुमा, समय आ गया है कि अब जवाब दें- - -
 लाखों, करोरों, अरबों बल्कि उस से भी कहीं अधिक बरसों से इस ब्रह्मांड का रचना कार अल्लाह क्या चौदह सौ साल पहले केवल तेईस साल चार महीने (मोहम्मद का पैगम्बरी काल) के लिए अरबी जुबान में बोला था ?
वह भी मुहम्मद से सीधे नहीं, किसी तथा फ़रिश्ता जिब्रील के माध्यम से,
वह भी बाआवाज़ बुलंद नहीं काना-फूसी कर के ?
मुहम्मद से उनकी बीवियाँ और जनता कहती रही कि जिब्रील आते हैं तो सब को दिखाई क्यूँ नहीं पड़ते? 
उनकी उचित मांग थी और मोहम्मद बहाने बनाते रहे.
क्या उसके बाद अल्लाह को साँप सूँघ गया कि स्वयंभू अल्लाह के रसूल की मौत के बाद उसकी बोलती बंद हो गई ? 
और जिब्रील अलैहिस्सलाम मृत्यु लोक को सिधार गए ? 
उस महान रचना कार के सारे काम तो बदस्तूर चल रहे हैं, 
मगर झूठे अल्लाह और उसके रसूल के छल में आ जाने वाले लोगों के काम चौदह सौ सालों से रुके हुए हैं, 
मुस्लमान वहीँ अटका हुआ है जहाँ सदियों पहले था, 
उसके हम रकाब यहूदी, ईसाई और दीगर क़ौमें मुसलमानों को सदियों पीछे अतीत के अंधेरों में छोड़ कर प्रकाश मय संसार में बढ़ गए हैं.
हम मोहम्मद की गढ़ी हुई जन्नत के लिए वजू, रुकू और सजदे में लिप्त है.
मुहम्मदी अल्लाह मुहम्मद के बाद क्यूँ मुसलमानों में किसी से वार्तालाप नहीं कर रहा है ? 
जो वार्ता उसके नाम से की गई है उस में कितना दम है?
ये सवाल तो आगे आएगा जिसका वाजिब उत्तर इन बदमाश आलिमो को देना होगा.... मुसलमानो !क़ुरआन का पोस्ट मार्टम खुली आँख से देखें
आप जागें, मुस्लिम से मोमिन हो जाएँ और ईमान की बात करें. अगर ज़मीर रखते हैं तो सदाक़त अर्थात सत्य को ज़रूर समझेंगे.
और अगर इसलाम की कूढ़ मग़ज़ी ही ज़ेह्न में समाई है तो जाने दीजिए अपनी नस्लों को तालिबानी जहन्नम में ,
जिन ग़लाज़तों में आप सने हुए हैं उसे ईमान के सच्चे साबुन से धोइए और पाक ज़ेहन के साथ ज़िंदगी का आग़ाज़ करिए. ग़लाज़त भरे पयाम आपको मुख़ातिब करते हैं इन्हें सुनकर इनसे मुंह फेरिए - - -  
***

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

No comments:

Post a Comment