Saturday, 21 April 2018

Hindu Dharm 170




गीता और क़ुरआन

भगवान् कृष्ण कहते हैं - - -

>मेरे शुभ भक्तों के विचार मुझ में वास करते हैं. 
उनके जीवन मेरी सेवा में अर्पित रहते हैं 
और वह एक दूसरे को ज्ञान प्रदान करते हैं 
तथा मेरे विषय में बातें करते हुए परम संतोष 
तथा आनंद का अनुभव करते हैं.
** जो प्रेम पूर्वक मेरी सेवा करने में परंपर लगे रहते हैं, 
उन्हें मैं ज्ञान प्रदान करता हूँ. 
जिसके द्वारा वे मुझ तक आ सकते हैं.
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय  -  10  श्लोक - 9 +10 

>गीता के भगवान् कैसी सेवा चाहते हैं ? 
भक्त गण उनकी चम्पी  किया करें ? 
हाथ पाँव दबाते रहा करें ? 
मगर वह मिलेंगे कहाँ ? 
वह भी तो हमारी तरह ही क्षण भंगुर थे. 
मगर हाँ ! वह सदा जीवित रहते है, 
इन धर्म के अड्डों पर. 
इन अड्डों की सेवा रोकड़ा या सोने चाँदी के आभूषण भेंट देकर करें. इनके आश्रम में अपने पुत्र और पुत्रियाँ भी इनके सेवा में दे सकते हैं.  
यह इस दावे के साथ उनका शोषण करते हैं कि 
"कृष्ण भी गोपियों से रास लीला रचाते थे." 
धूर्त बाबा राम रहीम की चर्चित तस्वीरें सामने आ चुकी हैं. 
अफ़सोस कि हिदू समाज कितना संज्ञा शून्य है.

और क़ुरआन कहता है - - - 
>" आप फरमा दीजिए क्या मैं तुम को ऐसी चीज़ बतला दूँ जो बेहतर हों उन चीजों से, ऐसे लोगों के लिए जो डरते हैं, उनके मालिक के पास ऐसे ऐसे बाग हैं जिन के नीचे नहरें बह रही हैं, हमेशा हमेशा के लिए रहेंगे, और ऐसी बीवियां हैं जो साफ सुथरी की हुई हैं और खुश नूदी है अल्लाह की तरफ से बन्दों को."
सूरह आले इमरान ३ तीसरा परा आयात (15)

देखिए कि इस क़ौम की अक़्ल को दीमक खा गई। 
अल्लाह रब्बे-कायनात बंदे मुहम्मद को आप जनाब कर के बात कर रहा है, इस क़ौम के कानों पर जूँ तक नहीं रेगती. 
अल्लाह की पहेली है बूझें? 
अगर नहीं बूझ पाएँ तो किसी मुल्ला की दिली आरजू पूछें कि वह नमाजें क्यूँ पढता है? 
ये साफ सुथरी की हुई बीवियां कैसी होंगी, ये पता नहीं, 
अल्लाह जाने, जिन्से लतीफ़ होगा भी या नहीं? 
औरतों के लिए कोई जन्नती इनाम नहीं फिर भी यह नक़िसुल अक्ल कुछ ज़्यादह ही सूम सलात वालियाँ होती हैं। 
अल्लाह की बातों में कहीं कोई दम दरूद है? 
कोई निदा, कोई इल्हाम जैसी बात है? 
दीन के क़लम कारों ने अपनी कला कारी से इस रेत के महेल को सजा रक्खा है।

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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