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भगवान् कृष्ण कहते हैं - - -
समस्त विराट जगत मेरे अधीन है.
यह मेरी इच्छा से स्वयं बार बार प्रकट होता रहता है
और मेरी ही इच्छा से अंत में विनष्ट होता है.
**जब मैं मनुष्य के रूप में अवतरित होता हूँ,
तो मूर्ख मेरा उपहास करते हैं.
वह मुझ परमेश्वर के दिव्य स्वभाव को नहीं जानते.
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय -9 - श्लोक -8 +11
मुहम्मदी अल्लाह जिस काम को करना चाहता है, प्लानिंग करने के बाद " कुन" कह देता है, बस वह काम हो जाता है.
गीता के भगवान् कुछ ऐसे ही हैं. दोनों मदारी एक दूसरे से कम नहीं.
और क़ुरआन कहता है - - -
''हाँ! तो क्या अल्लाह की इस पकड़ से बे फ़िक्र हो गए? अल्लाह की पकड़ बजुज़ इसके जिसकी शामत आ गई हो कोई बे फ़िक्र नहीं सकता और इन रहने वालों के बाद ज़मीन पर, बजाए इन के ज़मीन पर रहते हैं, क्या इन को ये बात नहीं बतलाई कि अगर हम चाहते तो इनको इनके जरायम के सबब हलाक कर डालते और हम इन के दिलों पर बंद लगाए हुए हैं, इस से वह सुनते नहीं.''
अलएराफ़ ७ -नवाँ पारा आयत (८८-१००)
गीता और क़ुरआन
समस्त विराट जगत मेरे अधीन है.
यह मेरी इच्छा से स्वयं बार बार प्रकट होता रहता है
और मेरी ही इच्छा से अंत में विनष्ट होता है.
**जब मैं मनुष्य के रूप में अवतरित होता हूँ,
तो मूर्ख मेरा उपहास करते हैं.
वह मुझ परमेश्वर के दिव्य स्वभाव को नहीं जानते.
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय -9 - श्लोक -8 +11
मुहम्मदी अल्लाह जिस काम को करना चाहता है, प्लानिंग करने के बाद " कुन" कह देता है, बस वह काम हो जाता है.
गीता के भगवान् कुछ ऐसे ही हैं. दोनों मदारी एक दूसरे से कम नहीं.
और क़ुरआन कहता है - - -
''हाँ! तो क्या अल्लाह की इस पकड़ से बे फ़िक्र हो गए? अल्लाह की पकड़ बजुज़ इसके जिसकी शामत आ गई हो कोई बे फ़िक्र नहीं सकता और इन रहने वालों के बाद ज़मीन पर, बजाए इन के ज़मीन पर रहते हैं, क्या इन को ये बात नहीं बतलाई कि अगर हम चाहते तो इनको इनके जरायम के सबब हलाक कर डालते और हम इन के दिलों पर बंद लगाए हुए हैं, इस से वह सुनते नहीं.''
अलएराफ़ ७ -नवाँ पारा आयत (८८-१००)
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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