खेद है कि यह वेद है (58)
गाय के सामान आने वाली उषा के पश्चात् अध्वर्यु आदि की समिधाओं द्वारा अग्नि प्रज्वलित होते हैं.
अग्नि की शिखाएं महान हैं.
अग्नि विस्तृत शाखाओं वाले वृक्ष के सामान आकाश की ओर बढ़ते हैं .
पंचम मंडल
सूक्त 1
(ऋग्वेद / डा. गंगा सहाय शर्मा / संस्तृत साहित्य प्रकाशन नई दिल्ली )
पोंगा पंडित की उपमा देखिए प्रातः काल के मद्धम आगमन को गाय के आगमन से जोड़ता है. इसके आने के बाद यज्ञ में जलने वाली लकड़ियाँ प्रज्वलित होती हैं.
आग की लपटें महान है ?
कैसे??
यह लपटें विस्तृत शाखाओं वाले वृक्ष के सामान आकाश की ओर बढ़ती हैं .
बस मंत्र ख़त्म
पैसा हजम
हो गया मन्त्र पूरा.
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