Thursday 28 June 2018

Hindu Dharm Darshan 201



शपथ गीता की, जो कहूँगा सच कहूँगा. (4)

महा भारत छिड़ने से पहले अर्जुन, भगवान् कृष्ण से कहते हैं ,
>"हे गोविंद ! 
हमें राज्य सुख अथवा इस जीवन से क्या लाभ !
क्योंकि जिन सारे लोगों के लिए हम उन्हें चाहते हैं , 
वे ही इस युद्ध भूमि में खड़े हैं. 
>>हे मधुसूदन !
जब गुरु जन, पितृ गण, पुत्र गण, पितामह, मामा, ससुर, पौत्र गण, साले 
और अन्य सारे संबंधी अपना अपना धन और प्राण देने के लिए तत्पर हैं 
और मेरे समक्ष खड़े हैं 
तो फिर मैं इन सबको क्यों मारना चाहूंगा,
भले ही वह मुझे क्यूँ न मार डालें ?
>>>हे जीवों के पालक !
मैं इन सबों से लड़ने के लिए तैयार नहीं, 
भले ही बदले में हमें तीनों लोक क्यूँ न मिलते हों.
इस पृथ्वी की तो बात ही छोड़ दें. 
भला धृतराष्ट्र को मार कर हमें कौन सी प्रसंनता मिलेगी ?" 
श्रीमद्  भगवद् गीता अध्याय 1  श्लोक ++-32-33-34-35 

* नेक दिल अर्जुन के मानव मूल्यों का के जवाब में,  
भगवान् कृष्ण अर्जुन को जवाब देते हैं - - - 
"श्री भगवान् ने कहा ---
>हे अर्जुन !
तुम्हारे मन में यह कल्मष आया कैसे ?
यह उस मनुष्य के लिए तनिक भी अनुकूल नहीं है 
जो जीवन के मूल्य को जानता हो.
इससे उच्च लोक की नहीं अपितु अपयश की प्राप्ति होती है.
>>हे पृथा पुत्र !
इस हीन नपुंसकता को प्राप्त न होवो 
यह तुम्हें शोभा नहीं देती.
हे शत्रुओं के दमन करता ! 
ह्रदय की क्षुद्र दुर्बलता को त्याग कर युद्ध के लिए खड़े हो जाओ.
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय अध्याय  2  श्लोक 2 -3 

*कपटी भगवान् के निर्मूल्य विचार, पाठक ख़ुद फ़ैसला करें. 

और क़ुरआन कहता है - - - 
''ए नबी! कुफ़्फ़ारऔर मुनाफ़िक़ीन से जेहाद कीजिए और उन पर सख़्ती  कीजिए, उनका ठिकाना दोज़ख़ है और वह बुरी जगह है. वह लोग कसमें खा जाते हैं कि हम ने नहीं कही हाँला कि उन्हों ने कुफ़्र की बात कही थी और अपने इस्लाम के बाद काफ़िर हो गए.- - -सो अगर तौबा करले तो बेहतर होगा और अगर रू गरदनी की तो अल्लाह तअला उनको दुन्या और आख़िरत में दर्द नाक सज़ा देगा और इनका दुन्या में कोई यार होगा न मददगार.''
सूरात्तुत तौबा ९ - १०वाँ परा आयत (७२-७४)
"काफ़िरों को जहाँ पाओ मारो, बाँधो, मत छोड़ो जब तक कि इस्लाम को न अपनाएं."
"औरतें तुम्हारी खेतियाँ है, इनमे जहाँ से चाहो जाओ."
"इनको समझाओ बुझाओ, लतियाओ जुतियाओ फिर भी न मानें तो इनको अंधेरी कोठरी में बंद कर दो, हत्ता कि वह मर जाएँ."
"काफ़िर की औरतें बच्चे मिन जुमला काफ़िर होते हैं, यह अगर शब् खून में मारे जाएँ तो कोई गुनाह नहीं."

>>ऐसे सैकड़ों इंसानियत दुश्मन पैग़ाम इन जहन्नुमी ओलिमा को इनका अल्लाह देता है.
***

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान


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