Monday 11 February 2019

सूरह तहरीम- 66 = سورتہ التحریم (मुकम्मल)

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है.
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.

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सूरह तहरीम- 66 = سورتہ التحریم 
    (मुकम्मल)

देखो कि तुम अपनी नमाज़ों में क्या पढ़ते हो - - -
"ऐ नबी जिस चीज़ को अल्लाह ने आप के लिए हलाल किया है, 
आप उसे क्यूँ हराम फ़रमाते हैं. 
 अपनी बीवियों की ख़ुशनूदी हासिल करने के लिए?
और अल्लाह बख़्शने वाला है."
मुहम्मद ज़रा सी बात पर बीवियों को तलाक़ देने पर आ गए 
जिसे उनका अल्लाह हलाल फ़रमाता है बल्कि उन्हें समझाता है 
कि आप जनाब तलाक़ को क्यूँ हराम समझते हैं?
 हमारे ओलिमा डफ़ली बजाया करते है कि तलाक़ अल्लाह को सख़्त ना पसन्द है.
क़ुरआन में ऐसा कहीं है तो यहाँ पर तलाक़ इतना आसान क्यूँ?
दोहरा और मुतज़ाद हुक्म मुहम्मदी अल्लाह क्यूँ फ़रमाता रहता है?

"जब पैग़म्बर ने एक बात चुपके से फ़रमाई, फिर जब बीवी ने वह बात दूसरी बीवी बतला दी और पैग़म्बर को अल्लाह ने इसकी ख़बर दे दी. पैग़म्बर ने थोड़ी सी बात जतला दी और थोड़ी सी टाल गए. जतलाने पर वह कहने लगी, आपको किसने ख़बर दी? आपने फ़रमाया मुझको बड़े जानने वाले, ख़बर रखने वाले ने ख़बर दी." 
(यानी अल्लाह ने)

वाक़ेआ यूं है- मुहम्मद की एक बीवी ने उनको शहद पिला दिया था, 
उन्हों ने इस शर्त पर पिया कि दूसरी किसी बीवी को इसकी ख़बर न हो,
मगर उसने अपनी सवतन को बतला दिया कि उनको बात ज़ाहिर न करना.
दूसरी ने तीसरी को कहा आज राजा इन्दर आएँ तो कहना,
 क्या शहेद पिया है ? कि बू आ रही है? यही मैं भी कहूँगी. मज़ा आएगा.
मुहम्मद दूसरी के यहाँ गए तो उसने उनसे पूछा,"क्या शहेद पिया  है ? कि बू आ रही है? वह इंकार करते हुए टाल गए.
फिर तीसरी ने भी उनसे यही सवाल दोराय .क्या शहेद पिया  है ? कि बू आ रही है?"
मुहम्मद सनके कि जिसके यहाँ शहद पिया थ ये उसकी हरकत है सब बीवियों से उसने गा दिया .
बस इतनी सी बात पर पैग़म्बर अपनी बीवियों पर बरसे कि अल्लाह ने उनको सारी ख़बर देदी.
गोया अल्लाह ने उनकी बीवियों में चुगल खो़री  करता फिरा.
मैं मुहम्मदी अल्लाह को ज़ालिम, जाबिर, चाल चलने वाला, और मुंतक़िम के साथ साथ चुग़ल खो़र   भी कहता हूँ. जो अपने बन्दों को आपस में लड़ाता है. 
और वह अपनी सभी 9  बीवियों को तलाक़ देने की धमकी देने लगे. 

"ऐ दोनों बीवियों ! अगर तुम अल्लाह के सामने तौबा कर लो तो तुम्हारे दिल मायल हो रहे हैं और अगर पैग़म्बर के मुक़ाबिले में तुम दोनों कार रवाईयाँ करती रहीं तो याद रखो पैग़म्बर का रफ़ीक़ अल्लाह है और जिब्रील है और नेक मुसलमान हैं और इनके अलावा फ़रिश्ते मददग़ार हैं."

मुहम्मद दो बे सहारा और मजबूर औरतों के लिए अल्लाह की, फ़रिश्तों की और इंसानों की फ़ौज खड़ी कर रहे हैं, इससे ही इनकी कमज़ोरी का अंदाजः किया जा सकता है.

"अगर पैग़म्बर तुम औरतों को तलाक़ दे दें तो उसका परवर दिगार बहुत जल्द तुम्हारे बदले इनको तुम से अच्छी बीवियाँ दे देगा जो इस्लाम वालियाँ, ईमान वालियाँ, फ़रमा बरदारी करने वालियाँ, तौबा करने वालियाँ, इबादत करने वालियाँ और रोजः रखने वालियाँ होंगी. कुछ बेवा और कुछ कुंवारियाँ होंगी."
ऐसे रसूल पर ग़ैरत वालियों की लअनत .

"ऐ ईमान वालो तुम अपने आप को और अपने घरों को आग से बचाओ जिसका ईंधन आदमी और पत्थर है, जिस पर तुन्दख़ू फ़रिश्ते हैं, जो अल्लाह की नाफ़रमानी नहीं करते, किसी बात में, जो उनको हुक्म दिया जाता है और जो कुछ उनको हुक्म दिया जाता है उसको बजा लाते है."

मुसलमानों! क्या ऐसी बातें तुम्हारी इबादत और तिलावत के लायक़ हैं जो दीनी वज्द में आकर तुम बकते हो. बड़े शर्म की बात है. 
सोचो, अल्लाह की बात में कोई बात तो हो.

"ऐ नबी कुफ़्फ़ार से और मुनाफ़िक़ीन से जेहाद कीजिए और उनका ठिकाना दोज़ख है और बुरी जगह है"

किसी इंसान का ख़ून किसी हालत में भी जायज़ नहीं हो सकता, 
चाहे वह कितना बड़ा मुजरिम ही क्यूँ न हो, 
क़ातिल ही क्यूँ न हो. 
क़त्ल के मुजरिम को अल्म नाक ज़िन्दगी गुज़ारने की सज़ा हो 
ताकि वह आख़िरी साँसों तक सज़ा काटता ही मरे मगर हाँ !
जेहादियों को देखते ही गोली मार देनी चाहिए जो 
इंसानी ख़ून के बदले सवाब पाते हों.

"अल्लाह काफ़िरों के लिए नूह की बीवी और लूत कि बीवी का हाल बयान फ़रमाता है. वह दोनों हमारे ख़ास में से ख़ास दो बन्दों के निकाह में थीं. सो उन औरतों दोनों बन्दों का हक़ ज़ाया किया. दोनों नेक बन्दे अल्लाह के मुक़ाबिले में उनके ज़रा भी काम न आ सकेऔर उन दोनों औरतों को हुक्म हो गया और जाने वालों के साथ तुम भी दोज़ख में जाओ."

अल्लाह का मुक़ाबिला किस्से हुवा था? ऐ पागल क्या बक रहा है. ?
कमज़ोर इंसान ! 
अपनी बीवियों को किस नामर्दी के साथ धमका रहा है.
(सूरह तहरीम- 66)
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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