मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है.
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है.
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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सूरह तक़ासुर - 102 = سورتہ التقاثر
(अल्हाको मुत्तकासुरोहत्ता ज़ुर्तमुल मकाबिर)
यह क़ुरआन का तीसवाँ और आख़िरी पारा है. इसमें सूरतें ज़्यादः तर छोटी छोटी हैं जो नमाज़ियों को नमाज़ में ज़्यादः तर काम आती हैं.
बच्चों को जब क़ुरआन शुरू कराई जाती है तो यही पारा पहला हो जाता है. इसमें 78 से लेकर114 सूरतें हैं जिनको (ब्रेकेट में लिखे ) उनके नाम से पहचान जा सकता है कि नमाज़ों में आप कौन सी सूरत पढ़ रहे हैं
और ख़ास कर याद रखें कि क्या पढ़ रहे हैं.
"फ़ख़्र करना तुमको गाफ़िल किए रखाता है,
यहाँ तक कि तुम कब्रिस्तानों में पहुँच जाते हो,
हरगिज़ नहीं तुमको बहुत जल्द मालूम हो जाएगा.
(फिर) हरगिज़ नहीं तुमको बहुत जल्द मालूम हो जाएगा.
हरगिज़ नहीं अगर तुम यक़ीनी तौर पर जान लेते,
वल्लाह तुम लोग ज़रूर दोज़ख़ को देखोगे.
वल्लाह तुम लोग ज़रूर इसको ऐसा देखना देखोगे जोकि ख़ुद यक़ीन है,
फिर उस रोज़ तुम सबको नेमतों की पूछ होगी".
नमाज़ियो!
तुम अल्लाह के कलाम की नंगी तस्वीर देख रहे हो,
क़ुरआन में इसके तर्जुमान इसे अपनी चर्ब ज़बानी से बा लिबास करते है.
क्या बक रहे हैं तुम्हारे रसूल ?
वह ईमान लाए हुए मुसलामानों को दोज़ख में देखने की आरज़ू रखते हैं.
किसी तोहफ़े के मिलने की तरह नवाजने का यक़ीन दिलाते हैं.
" वल्लाह तुम लोग ज़रूर दोज़ख को देखोगे."
अगर वाक़ई कहीं दोज़ख होती तो उसमें जाने वालों में
मुहम्मद का नाम सरे फेहरिश्त होता.
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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