ब्रह्मा विष्णु महेश
(तीसरी किस्त)
ब्रह्मा और विष्णु के बाद आर्यन ने तीसरा ईश्वर हिदुस्तानी को चुना है, वह हैं महेश यानी शिव जी. यह महाशय ब्रह्मा के शरीर अंगों से संचालित विष्णु के सृष्टि का सर्व नाश कर देते हैं.
इन तीनों ईश्वरों का कार्य काल ढाई अरब वर्ष का होता है .
शिव जी भी हिन्दू धर्म के अजीब व् ग़रीब हस्ती हैं.
कहते हैं कि शिव जी जब क्रोधित होते थे तो डमरू वादन करते,
उनके ताण्डव नृत से पर्वत हिल जाते,
जैसे क़ुरान कहता है कि दाऊद अलैहिस्समन के साथ पहाड़ सजदा करते थे.
शिवजी बहुत ग़ुस्सैल हुवा करते थे.
उनकी एक ख़ूबी और भी है कि वह शांत होने पर अपनी जड़ी बूटी (भांग और गांजा )खा पी कर, शरीर पर भभूत लगा कर पार्वती के बगल में बैठ जाते.
इनका वस्त्र हिरन की खाल होती और भूषन नाग देवता.
आज भी शिवजी की वेश भूषा में लाखों साधक भारत के शहरों और सड़कों पर देखे जा सकते हैं.
यह जनता से दंड स्वरूप भिक्षा वसूलते हैं .
अनोखे शिव लिंग (तनासुल) की चर्चा इतनी ही काफ़ी है कि इसे देश भर में मंदिरों में देखे जा सकते हैं जिसकी पूजा नर नारी सभी करते है.
शिव लिंग के विषय में मेरा ज्ञान अधूरा हैं,
इतना ही सुना है कि क्रोधित होकर शिव जी ने अपना लिंग काट कर
ज़मीन पर फेंक दिया था, जनता से कुछ न बना तो इसे पूजने लगी.
भारत की एक विचित्र जंतु नागा साधु होते हैं.
शिव जी मात्र हिरन खाल शरीर पर लपेटते,
नागा जीव उस से भी मुबर्रा होते है. मादर जाद नंगे,
शिव बूटी ग्रहण करने के लिए चिलम एक मात्र इनकी संपति होती है.
मैं क़ुरआन के रचनाकार पर गरजता रहता हूँ,
कोई इस गाथा पर बरसने वाला है ?
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
श्रीमान जी किस्से कहानियो कपोल कल्पित कथाओ पर न जाये बस आप अपने हाकिम की मुत शायरी की बखिया ही उघाड़े तो बेहतर । शिवलिंग क्या है या शिव क्या है इसकी सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करे ईश्वर के 108 गुण वाचक नाम है इन्ही गुण में एक तमगुण है , उसी गुण के आधार पर ईश्वर का एक नाम शिव भी है ,
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