इस्लामी इंक़्लाब
आज कल इस्लामी दुन्या में तब्दीली की एक लहर आई हुई है.
पुरानी बादशाहत, ख़िलाफ़त और सुल्तानी से मुसलमानो का दिल ऊब गया है.
मिस्र में हुस्नी मुबारक को बहुत दिनों झेलने के बाद उन्हें गद्दी से
अवाम ने हटा दिया है.
हटा तो दिया इंक़्लाब बरपा करके मगर अब ले आएं किसको?
कोई जम्हूरी तहरीक तो वहाँ है, तो आईन मुरत्तब कर रहे हैं कि देखिए क्या करेंगे. फिलहाल उन्हों ने अपने ऐवान से सदर हुस्नी मुबारक की तस्वीर हटा कर उस ख़ाली जगह पर "अल्लाह" की तस्वीर लगा दी गई है.
मुसलमानों का मुल्क है,
ज़ाहिर है मुहम्मदी अल्लाह का इक़्तेदार और निज़ाम आने वाला है.
हर इस्लामी मुल्क में अवाम लाशऊरी तौर पर इस्लाम से बेज़ार है,
मगर मुट्ठी भर इस्लामी जादूगर कामयाब हो जाते है,
अवाम फिर उन्हें एक अरसे तक झेलने के लिए मजबूर हो जाती है.
ये कोई ग़ैर इस्लामी समाज नहीं है कि लोगों में पुर मानी इंक़्लाब
आने के कोई आसार हों,
अवाम को नए सिरे से ग़ुमराह किया जायगा नमाज़ रोज़ा हज
और ज़कात जैसे अरकान में बंधक बना कर,
मज़हब की अफ़ीमी नशे में उनको फिर से ढकेला जाएगा.
फिर नए सिरे से ओलिमा के चहीते और सददाम और ग़द्दाफ़ी की
औलादें ऐश करने के लिए पैदा हो जाएंगी.
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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