कट्टर हिन्दू और मुसलमान
मुसलमानो ! तुम बदरजहा बेहतर हो हिदुओं से,
जिसका तजज़िया मैं ईमान दारी के साथ कर रहा हूँ,
जो जग-जाहिर है - - -
1-तुम्हारे अंदर छुवा छूत नहीं है जो हिदुओं में कोढ़ की तरह फैला हुवा है और उसके शिकार तुम भी हो कि स्वर्ण तुम से भी परहेज़ करते हैं, दलितों जैसा.
यह बात अलग है हिदुओं के देखा देखी गाँव और क़स्बों में
तुम भी दलितों की तौहीन करते हो.
2- तुम औरों से निस्बतन नशा कम करते हो, शराब कम पीते हो,
3- तुम दहेज़ के कारण बहुओं को जला कर नहीं मारते.
न ही तुम में सती प्रथा थी.
4-तुम बहन बेटियों को बेवा हो जाने के बाद पंडों के हवाले नहीं करते,
बल्कि उनको किसी मर्द से दुबारा शादी करा देते हो.
5-तुम हिदुओं की तरह ढोंगी बाबाओं के शिकार नहीं,
और हज़ारो भगवानो और तीर्थों पर तुम में निस्बतन कम है.
6-इसके आलावा बहुत से सलीके इस्लामी कल्चर ने तुम्हे बख़्शे हैं
जो हिन्दुओं से बरतर और बेहतर हैं.
मगर इसी इस्लाम ने बहुत सी बुरी बातें तुम्हें घुट्टी में पिला रक्खा है.
इसकी वजह से तुम दुन्या की पसमांदा क़ौम बन कर रह गए हो
जिसकी वजह से सारा ज़माना तुम्हारा दुश्मन बना हुवा है.
मैं बड़े यक़ीन से कह सकता हूँ कि हर मुसलमान जुज़्वी तौर पर कुछ न कुछ तालिबानी होता है,
क्यूंकि तालिबानियत ही सच्चा इस्लाम है. इस्लाम के बुनयादी शर्तें हैं - - -
1 तुम ग़ैर मुस्लिमों से जिहाद करो, मर गए तो सीधे जन्नत धरी हुई है.
शबाब, शराब वहां इफ़रात है.
2-ज़िन्दा बचे तो लूट-पाट में मिले माल को तुम्हारा अल्लाह
तुम्हारे लिए ग़नीमत किए हुए है.
इस्लाम के मुताबिक़ ग़ैर मुस्लिम या तो इस्लाम क़ुबूल करके हमारे इदारों को टैक्स दे
या फिर जज़िया दे या तो फिर हम से जंग करे.
इस फ़ॉर्मूले से इस्लाम अतीत में बहुत कामयाब रहा
जब तक महेज़ तीर और तलवार का ज़माना था.
इसके बाद गंगा उलटी बहने लगी.
ज़माना बंदूकों और बमों का आ गया.
साइंस और मंतिक की इस्लाम इजाज़त नहीं देता.
ग़रज़ तअलीम जदीद के मैदान में मुसलमान बहुत पीछे है.
नतीजतन आज तक इस्लाम को ओढ़ने और बिछाने वाली क़ौम ने एक सूई तक ईजाद नहीं की.
पसपाई इसकी क़िस्मत बन गई है.
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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