सूरह `इनशिक़ाक़ - 84 = سورتہ الانشقاق
(इज़ा अस्समाउन शक्क़त)
बच्चों को जब क़ुरआन शुरू कराई जाती है तो यही पारा पहला हो जाता है. इसमें 78 से लेकर114 सूरतें हैं जिनको (ब्रेकेट में लिखे ) उनके नाम से पहचान जा सकता है कि नमाज़ों में आप कौन सी सूरत पढ़ रहे हैं
और ख़ास कर याद रखें कि क्या पढ़ रहे हैं.
"जब आसमान फट जाएगा,
और अपने रब का हुक्म सुन लेगा,
और वह इस लायक़ है,
और जब ज़मीन खींच कर बढ़ा दी जाएगी,
और अपने अन्दर की चीजों को बाहर निकाल देगी,
और ख़ाली हो जाएगी, और अपने रब का हुक्म सुन लेगी और वह इस लायक़ है.
ऐ इंसान तू अपने रब तक पहुँचने तक काम में कोशिश कर रहा है,
फिर इससे जा मिलेगा.
तो मैं क़सम खाकर कहता हूँ शफ़क की और रात की और उन चीजों की जिनको रात समेट लेती हैऔर चाँद की, जब कि वह पूरा हो जाए कि तुम लोगों को ज़रूर एक हालत के बाद दूसरी हालत में पहुंचना है.
सो उन लोगों को क्या हुवा जो ईमान नहीं लाते और जब रूबरू क़ुरआन पढ़ा जाता है तब भी अल्लाह की तरफ़ नहीं झुकते, बल्कि ये काफ़िर तक़ज़ीब करते हैं"
सूरह इन्शेक़ाक़ 84 आयत (1 -2 2 )
नमाज़ियो !
अपनी नमाज़ में क्या पढ़ा? क्या समझे ?
ज़मीन ओ आसमान को भी अल्लाह तअला दिलो दिमाग़ वाला बना देता है? जोकि इसकी फ़रमा बरदारी के लायक़ हो जाते हैं? ये माफ़ौक़ुल फ़ितरत पाठ, उम्मी मुहम्मद तुमको शब् ओ रोज़ पढ़ाते हैं
एक हदीस में वह पत्थर में ज़बान डालते है.जो बोलने लगता है - - -
"ऐ मुसलमान जेहादियो! यहूदी मेरे आड़ में छिपा हुवा है, आओ इसे क़त्ल कर दो"
इक्कीसवीं सदी में आप इन अक़ीदों को जी रहे हैं?
जागो, अपनी नस्लों को आने वाले वक़्त का मज़ाक़ मत बनाओ.
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