तुम्हारे लिए अच्छा मौक़ा है
मुसलमानों !
मौजूगा शहरी क़ानून से में परेशान न हो ? घबराना नहीं, तुम्हारे पास तिरयाक़ है.
तुम फ़िलहाल नमाज़ रोज़े और इबादत को ताक़ पर रख कर भूल जाओ,
'लाइलाहा इल्लिलाह मोहम्मादुर रसूल्लिल्लाह' ईमान नहीं बे ईमानी है.
इसे ताक़ ए निस्याँ करो. फ़ितरी ईमान सब कुछ है. इसे समझो.
अरब क़बीलों में उस वक़्त लड़कियां ज़िन्दा दफ़्न कर दी जाती थीं
और बहुत सी बुराइयाँ थीं, सैकड़ों बुत थे, हर बुत का एक तबक़ा था,
लोग आपस में लड़ भिडकर एक दूसरे से बैर सखते.
ऐसे मुआशरे को संवारने के लिए मुहम्मद का यह झूट
लाइलाहा इल्लिलाह मोहम्मादुर रसूलिल्लाह,
सच से मुक़द्दस था.
दुन्या बदल चुकी है,
आज एक कुत्ते के बच्चे को भी ज़िन्दा दफ़्न करना दुन्या को गवारा नहीं.
अल्लाह को हज़ारों सालकी इस मुहज़्ज़ब दुन्या ने अभी तक नहीं देखा,
तो इसका वजूद भी मशकूक है.
जब अल्लाह ही नहीं तो उसका एजेंट क्या मअने ?
तुम मुस्लिम से मोमिन बन जाओ.
ईमान दार मोमिन.
हक़ हलाल और मेहनत की रोटी खाओ.
हुक़ूक़ुल इबाद पर इस्लामी रुक्न पर ईमान लाओ,
यह ईमान ए हक़ीक़ी है.
माली हैसियत कोई ख़ास चीज़ नहीं, ईमान दारीअहम् चीज़ है.
"वह" इस राज़ को नहीं जानते, वह लक्षमी पूजक हैं.
मोमिन ही इस राज़ को जानता है की पैसा हाथ की मैला है.
मोलवियों और मुल्लाओं के फंदे से निकल कर
अपने बच्चो को जदीद तालीम दो.
इल्म ही दुन्या की महफ़ूज़ रहगुज़र है.
हक़ हलाल की रोज़ी ही सच्चा ईमान है.
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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