धर्म मुक्त धरतीअन्न और घी को आग में झोंक कर क्षितिज को शुद्ध करने वाले मूरख !अपनी नीदें खोलें,उनको ग़लत फ़हमी हुई है कि सदियों बाद उनका साम्राज्य स्थापित होने जा रहा है.बार बार उनके कान में फूंका जा रहा है कि शब्द हिन्दू,आक्रमण कारी विजेताओं, अरबियों और फ़ारसियों की बख़्शी हुई उपाधि है, जो उनकी भाषा में कुरूप काले चोर उचक्कों को कहा जाता है. और तथा कथित हिन्दू परिषद फिर भी अपने इस अपमान पर गर्व करता है ??कैसा आशचर्य है कि शायद यही हिन्दू परिषद की नियति है.दक्षिण भारत में "द्रविण मुन्नैत्र" शुद्घ शब्द है जोकि हिन्दू का बदल हो सकता है,मगर यहाँ पर स्वर्ण फिर भी फंस जाते हैं कि वह आर्यन है औरउनका मूल रूप ईरान है, इस ऐतिहासिक सत्य को कभी भी ढका नहीं जा सकता.दर अस्ल हिंदुत्व और इस्लाम एक ही सिक्के दो पहलू हैं.हिंदू अपने आधीनों को कभी भी मार नहीं डालता ,उसके यहाँ तो जीव हत्या पाप हैचाहे वह बीमारी फ़ैलाने वाले जीव जंतु ही क्यों न हों,आधीन उसके लिए "सवाब जरिया" (सदयों जारी रहने वाला पुण्य) होते हैं जिन्हें वह कभी मारता है, और न मोटा होने देता है.मनुवाद को ईमान दारी से पढ़िए अगर असली कहीं मिल सके.इस्लाम क़त्ल और ग़ारतगरी पर ईमान रखता है ,यहूदियत की तरह.हिन्दू परिषद वालो सावधान !देश की अवाम जाग चुकी है ,तुमको हमेशा की तरह एक बार भी बड़ी ज़िल्लत उठानी पड़ेगी.मानवता अपने शिखर विंदू को छूने वाली है. जिसके तुम दुश्मन हो.इस्लाम ख़ुद अपने ताबूत में आख़िरी कील ठोंक रहा है.सऊदी की जाम गटरों से क़ुरआन की जिल्दें निकाली जा रही हैं.बहुत हो चुकी धर्म व् मज़हब की धांधली,अब मानव समाज को धर्म मुक्त धरती चाहिए.जो फ़ितरी सदाक़तो और लौकिक सत्य पर आधारित हो.***
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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