शपथ गीता की, जो कहूँगा सच कहूँगा. (57)
>हे भारत पुत्र !
सतो गुण मनुष्य को सुख से बांधता है,
रजो गुण सकाम कर्म से बांधता है
और तमोगुण मनुष्य के ज्ञान को ढक कर उसे पागलपन में बाधता है.
>>तपो गुण से वास्तविक ज्ञान उत्पन्न होता है,रजो गुण से लोभ उत्पन्न होता है और तमो गुण से अज्ञान, प्रमाद और मोह उत्पन्न होता है.
>>>सतो गुणी व्यक्ति क्र्मशः ऊपर उच्च लोकों को जाते हैं,
रजोगुणी इसी पृथ्वी पर रह जाते हैं
और जो अत्यंत गर्हित तमो गुण में स्थित हैं,
वे नीचे नरक लोक में जाते हैं.
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय -14 श्लोक - 8+17 + 18
*हर आदमी में सभी गुण स्वाभाविक होते हैं ,
कब किसका प्रयोजन हो जाए.
उम्र भी इन गुणों को निर्धारित करती है.
इंसान किसी पल फ़रिश्ता होता है तो अगले क्षण शैतान.
परिस्थितियाँ गुणों को दास बना देती है.
धर्म ज्ञान अधकचरा ज्ञान होता है,
इसमें कहीं न कहीं उनका हित निहित होता है.
इंसानियत इन से मुक्ति चाहती है.
प्रस्तुत पुस्तक का एक पाठ है
" तात्पर्य"
इसका अध्यन ध्यान पूर्वक करिए तो समझ में आएगा कि " तात्पर्य" का तात्पर्य क्या है ? अगर धर्म के धंधे बाजों को अपनी कमाई का 50% इनको दो तो यह तुम्हें स्वर्ग लोक में पहुंचा देंगे, इस से कम दो तो इसी लोक में पड़ा रहने देगे और अगर इन लुटेरों को कुछ न दो तो नरक निश्चित है.
और क़ुरआन कहता है - - -
>"और जिस रोज़ आसमान बदली पर से फट जाएगा, और फ़रिश्ते बकसरत उतारे जाएँगे उस रोज़ हक़ीक़ी हुकूमत रहमान की होगी. और वह काफ़िर पर सख्त दिन होगा, उस रोज़ ज़ालिम अपने हाथ काट काट खाएँगे. और कहेंगे क्या खूब होता रसूल के साथ हो लेते."
सूरह फुरकान-२५-१९वाँ पारा आयत (२६-२७)
अल्लाह का इल्म मुलाहिजा हो, उसकी समझ से बादलों के ठीक बाद आसमान की छत छाई हुई है जो फट कर फरिश्तों को उतारने लगेगी.
इस अल्लाह को हवाई सफ़र कराने की ज़रुरत है,
कह रहे हैं कि "उस रोज़ हक़ीक़ी हुकूमत रहमान की होगी" जैसे कि आज कल दुन्या में उसका बस नहीं चल पा रहा है.
अल्लाह ने काफिरों को ज़मीन पर छोड़ रक्खा है कि हैसियत वाले बने रहो कि जल्द ही आसमान में दरवाज़ा खुलेगा और फरिश्तों की फ़ौज आकर फटीचर मुसलामानों का साथ देगी.
काफ़िर लोग हैरत ज़दः होकर अपने ही हाथ काट लेंगे और पछताएँगे कि कि काश मुहम्मद को अपनी खुश हाली को लुटा देते.
चौदः सौ सालों से मुसलमान फटीचर का फटीचर है और काफिरों की गुलामी कर रहा है, यह सिलसिला तब तक क़ायम रहेगा जब तक मुसलमान इन क़ुरआनी आयतों से बगावत नहीं कर देते.
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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