शपथ गीता की, जो कहूँगा सच कहूँगा (66)
भगवान् श्री कृष्ण कहते हैं - - -
>जो कर्ता सदा शास्त्रों के आदेशों के विरुद्ध कार्य करता रहता है, जो भौतिक वादी, हठी, कपटी तथा अन्यों का अपमान करने में पटु है तथा जो आलसी, सदैव खिन्न तथा काम करने में दीर्घ सूत्री है,
वह तमोगुणी कहलाता है.
>>इस लोक में, स्वर्ग लोकों में या देवताओं के मध्य में कोई भी ऐसा व्यक्ति विद्यमान नहीं है, जो प्रकृति के तीन गुणों से मुक्त हो.
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय -18 श्लोक -28 -40
*हे मूरख भगवान !
तूने आखिर समस्त मानव को सतो गुणी ही क्यूँ न बनाया ?
सब कुछ तो तेरे हाथ में था. तू चाहता तो मानव क्या,
पशु को भी सतो गुणी बना देता,
तमो गुणी और रजो गुणी मनुष्य बना कर गीता रचता है ?
ताकि तेरा छलावरण का धंधा चलता रहे.
तू अपनी लाठी से जनगण को हाकता रहे ?
कब तक इंसान तेरी दासता को ओढ़ते और बिछाते रहेगे ?
प्रक्रति के केवल तीन गुण नहीं सैकड़ों गुण हैं,
तेरा मस्तिष्क केवल तीन तक सीमित है.
वैज्ञानिकों के एक गुण को भी तू नहीं जानता.
और क़ुरआन कहता है - - -
>देखिए कि अल्लाह अपने आदरणीय मुहम्मद को कैसे लिहाज़ के साथ मुखातिब करता है - - -
"क्या हमने आपकी खातिर आपका सीना कुशादा नहीं कर दिया,
और हमने आप पर से आपका बोझ उतार दिया,
जिसने आपकी कमर तोड़ रक्खी थी,
और हमने आप की खातिर आप की आवाज़ बुलंद किया,
सो बेशक मौजूदा मुश्किलात के साथ आसानी होने वाली है,
तो जब आप फारिग हो जाया करेंतो मेहनत करें,
और अपने रब की तरफ़ तवज्जो दें."
सूरह इन्शिराह ९४ - पारा ३० आयत(१-८)
धर्म और मज़हब का सबसे बड़ा बैर है नास्तिकों से जिन्हें इस्लाम दहेरया और मुल्हिद कहता है. वो इनके खुदाओं को न मानने वालों को अपनी गालियों का दंड भोगी और मुस्तहक समझते हैं.
कोई धर्म भी नास्तिक को लम्हा भर नहीं झेल पाता. यह कमज़र्फ और खुद में बने मुजरिम, समझते हैं कि खुदा को न मानने वाला कोई भी पाप कर सकता है, क्यूंकि इनको किसी ताक़त का डर नहीं. ये कूप मंडूक नहीं जानते कि कोई शख्सियत नास्तिक बन्ने से पहले आस्तिक होता है और तमाम धर्मों का छंद विच्छेद करने के बाद ही क़याम पाती है. वह इनकी खरी बातों को जो फ़ितरी तकाज़ा होता हैं, उनको ग्रहण कर लेता है और थोथे कचरे को कूड़ेदान में डाल देता है. यही थोथी मान्यताएं होती हैं धर्मों की गिज़ा. नास्तिकता है धर्मो की कसौटी. पक्के धर्मी कच्चे इंसान होते हैं. नास्तिकता व्यक्तित्व का शिखर विन्दु है.
एक नास्तिक के आगे बड़े बड़े धर्म धुरंदर, आलिम फाजिल, ज्ञानी ध्यानी आंधी के आगे न टिक पाने वाले मच्छर बन जाते हैं.
जागो मुसलामानों जागो.
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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