खेद है कि यह वेद है (1)
जब आर्यन मध्य एशिया से भारत आए तो उन्होंने पाया कि यहाँ तो वन ही वन हैं. उनकी गायों के लिए चरागाहें तो कहीं दिखती ही नहीं.
भारत के मूल निवासियों की जीविका यही वन थे जो आर्यों को रास नहीं आए.
उनकी जीविका तो गाय समूह हुवा करती थीं जो उनको खाने के लिए मांस,
पीने के लिए दूध और पहिनने के लिए खाल मुहय्या करतीं.
उनके समझ में आया कि इन जंगलो को आग लगा कर,
भूमि को चरागाह बन दिया जाए तो समस्या का हल निकल सकता है.
आर्यों ने जंगलों में आग लगाना शुरू किया तो मूल निवासियों ने इस का विरोध किया. छल और बल द्वारा उन्होंने इस अग्नि काण्ड को 'हवन' का नाम प्रचारित किया,
कहा कि हवन से वायु शुद्ध होती है.
यज्ञ और हवन की शुरुआत इस तरह हुई थी
और आर्यन भारत के मालिक बन गए,
भारत के मूल निवासी अनार्य हो गए.
इसी यज्ञ की बरकत लोगों का विश्वास बन गया
और पंडों पुजारियों की ठग विद्या इनका धंधा बन गया.
यह सवर्ण कहे जाने वाले आर्यन मध्य एशिया से चार क़िस्तों में आए.
इनकी आख़िरी क़िस्त इस्लाम की सूरत में आई.
भारत की ज़र्खेज़ी 5000 वर्ष पूर्व से १००० वर्ष पूर्व आर्य हमलावरों को खींचती रही. और हजारों सालों तक भारत भूमि पर क़ब्ज़ा जमाती रही.
यह हमलावर भारत के उत्तर से आते रहे और भारत के मूल निवासियों को भारत में ही दक्षिण दिशा में ढकेलते रहे.
जो न भाग सके वह इनके दास अछूत बन गए.
आज भारत की तस्वीर गवाह है कि भारत की आबादी जिस हालत में है.
यह ज़लिम आर्यन 5000 वर्षों से भारत के मूल निवासियों को उनकी ज़मीन जायदाद से बे दख़्ल कर रहे हैं, कभी नफ़रत फैला कर तो कभी देश प्रेम की हवा बना कर.
देश के सभी मानव सभ्यताएँ इनके पैरों तले बौनी हो चुकी हैं,
कही यह दुष्ट हक़दारों को नक्सली बतला कर मार रहे हैं तो कहीं पर माओ वादी. कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग कह कर,
नागा लैंड जैसी रियासतों को अटूट हिस्सा बता कर.
छल और कपट इनका धर्म होता है.
आलमी अदालत UNO में समझौते पर दस्तख़त करने के बाद भी
उससे फिर जाना इनके लिए हंसी खेल होता है.
भारत के दो भू भागों के झगड़े को कभी न हल होने देने के लिए
इनके पास हरबे होते हैं, कि यह हमारा अंदरूनी मुआमला है,
किसी तीसरे को हमारे बीच पड़ने की कोई ज़रुरत नहीं,
जब कि हर दो के झगड़े को कोई तीसरा पक्ष ही पड़ कर सुलह कराता है.
आर्यन भारत आने से पहले भी अपना घिनावना इतिहास रखते हैं,
भारत आने के बाद इनको टिकने के लिए बेहतर ज़मीन जो मिल गई है.
भारत में यह अपनी विषैली फ़सल बोने और काटने का हवन जारी रख्खेंगे.
यहूदियों और योरोपियन ने अमरीका के मूल निवासियों रेड इंडियंस की नस्ल कुशी करके उनका वजूद ही ख़त्म कर दिया,
आर्यन ने भारत के मूल निवासियों को न मारा, न ही जीने दिया,
क्यों कि इन्हें दास बना कर रखने के लिए जीवित इंसानों की ज़रुरत है.
मैं विशुद्ध हिन्दू हूँ, आर्यन हूँ, मगर सच बोलना ही मेरा धर्म है.
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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