खेद है कि यह वेद है (9)
हम महान इंद्र के लिए शोभन स्तुत्यों का प्रयोग करते हैं.
क्योकि परिचर्या करने वाले यजमान के घर में इंद्र की स्तुत्यां की जाती हैं.
जिस प्रकार चोर सोए हुए लोगों की संपत्ति छीन लेते है,
उसी प्रकार इंद्र असुरों के धन पर तुरंत अधिकार कर लेते हैं.
धन देने वालों के विषय में अनुचित स्तुति नहीं की जाती.
ऋग वेद प्रथम मंडल सूक्त 5- - - (1)
और यहाँ ग्रन्थ इंद्र को चोरों का बाप डाकू साबित करता है,
वह भी डरपोक.
सोते हुवे चोर को लूटा. चोर जगता हुआ होता तो महाराज की ख़ैर न होती.
यह असुर भारत के मूल निवासी थे जो आज दलित और दमित के नाम से पहचाने जाते हैं. मनुवाद आज भी इनका दोहन कर रहा है.
(ऋग्वेद / डा. गंगा सहाय शर्मा / संस्तृत साहित्य प्रकाशन नई दिल्ली)
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हम महान इंद्र के लिए शोभन स्तुत्यों का प्रयोग करते हैं.
क्योकि परिचर्या करने वाले यजमान के घर में इंद्र की स्तुत्यां की जाती हैं.
जिस प्रकार चोर सोए हुए लोगों की संपत्ति छीन लेते है,
उसी प्रकार इंद्र असुरों के धन पर तुरंत अधिकार कर लेते हैं.
धन देने वालों के विषय में अनुचित स्तुति नहीं की जाती.
ऋग वेद प्रथम मंडल सूक्त 5- - - (1)
और यहाँ ग्रन्थ इंद्र को चोरों का बाप डाकू साबित करता है,
वह भी डरपोक.
सोते हुवे चोर को लूटा. चोर जगता हुआ होता तो महाराज की ख़ैर न होती.
यह असुर भारत के मूल निवासी थे जो आज दलित और दमित के नाम से पहचाने जाते हैं. मनुवाद आज भी इनका दोहन कर रहा है.
(ऋग्वेद / डा. गंगा सहाय शर्मा / संस्तृत साहित्य प्रकाशन नई दिल्ली)
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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