बनी नुज़ैर
मदीने से चार मील के फ़ासले पर यहूदियों का एक ख़ुश हल क़बीला,
बनी नुज़ैर नाम का हुवा करता था,
जिसने मुहम्मद से समझौता कर रखा था कि मुसलमानों का मुक़ाबिला अगर काफ़िरों से हुवा तो वह मुसलमानों का साथ देंगे और
दोनों आपस में दोस्त बन कर रहेंगे.
इसी दोस्ताना सिलसिले में एक रोज़ यहूदियों ने मुहम्मद की,
ख़ैर शुगाली के जज़्बे के तहत दावत की.
मुहम्मद पहली बार बस्ती गए थे उसकी ख़ुशहाली देख कर उनकी आँखें ख़ैरा रह गईं.
उनके मन्तिक़ी ज़ेहन ने उसी वक़्त मंसूबा बंदी शुरू कर दी.
अचानक ही बग़ैर खाए पिए उलटे पैर मदीना वापस हो गए.
यहूदी अंग़ुश्त बदंदां हुए कि क्या हो गया ?
मदीना पहुँच कर यहूदियों पर इल्ज़ाम लगा दिया कि काफ़िरों से मिल कर
ये मूसाई मेरा काम तमाम करना चाहते थे.
वह एक पत्थर को छत के ऊपर से गिरा कर मुझे मार डालना चाहते थे.
इस बात का सुबूत तो उनके पास कुछ भी न था
मगर सब से बड़ा सुबूत उनका हथियार अल्लाह की वह्यी थी
कि ऐन वक़्त पर उन पर नाज़िल हुई.
इस इलज़ाम तराशी को आड़ बना कर मुहम्मद ने बनी नुज़ैर क़बीले
पर अपने लुटेरों को लेकर यलग़ार कर दिया.
मुहम्मद के लुटेरों ने वहाँ ऐसी तबाही मचाई कि जान कर कलेजा मुंह में आता है.
बस्ती के बाशिंदे इस अचानक हमले के लिए तैयार न थे,
उन्हों ने बचाव के लिए अपने क़िले में पनाह ले लिया और
यही पनाह गाह उन पर तबाह गाह बन गई.
ख़ाली बस्ती को पाकर कल्लाश भूके नंगे मुहम्मदी लुटेरों ने बस्ती का
तिनका तिनका चुन लिया. उसके बाद इनकी तैयार फसलें जला दीं,
यहाँ पर भी बअज न आए, उनकी बागों के पेड़ों को जड़ से काट डाला.
फिर उन्हों ने किला में बंद यहूदियों को बहार निकाला और
उनके अपने हाथों से बस्ती में एक एक घर को आग के हवाले कराया.
तसव्वुर कर सकते हैं कि उन लोगो पर उस वक़्त क्या बीती होगी.
इसकी मज़म्मत ख़ुद मुसलमान के संजीदा अफ़राद ने की,
तो वही वहियों का हथियार मुहम्मद ने इस्तेमाल किया.
कि मुझे अल्लाह का हुक्म हुवा था.
यहूदी यूँ ही मुस्लिम कश नहीं बने,
इनके साथ मुहम्मदी जेहादियों ने बड़े मज़ालिम किए है.
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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