गुंड़े और कायर
गाँधी जी ने बड़ी हिम्मत की ,
यह कहकर कि मुसलमान बहुधा गुंडा होता है
और हिंदू बहुधा कायर होता है.
ग़ांधी जी ने पूरी हिम्मत नहीं की वर्ना कहते इस्लाम अपने आप में गुंडा गर्दी है
और हिन्दू सिर्फ़ कायर ही नहीं बल्कि ख़सीस और बेईमान भी होता है.
ख़ुद गाँधी जी की अहिंसा भी कायरता की श्रृंखला में आती है.
मुसलमानों की जग जाहिर गुंडा गर्दी है, isis है.
और हिंदुओं की जग जाहिर बेईमानी है मसअला कश्मीर.
अंतर राष्ट्रीय मंच "राष्ट्र-संघ " में देश के पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने वादा किया था कि काश्मीर में राय शुमारी होगी, आया काशमीरी हिन्दुतान में रहना चाहते है या पाकिस्तान या फिर अपना आज़ाद मुल्क चाहते हैं.
काशमीर पर अपनी बात से मुकर जाना अंतर राष्ट्रीय स्तर की बेईमानी है.
कहते हैं काशमीर भारत का अभिन्न अंग है.
भारत का अंग तो कभी मलेश्या, इंड़ोनेशिया, थाई लैंड, बर्मा से लेकर अफ़ग़ानिस्तान तक थे. सब भिन्न हो गए.
अभी कल की बात है भारत के अंग रहे पाकिस्तान और बांगला देश भिन्न हो गए. कल हिन्दुतान के दो चार अंग अलग होकर नए देश हो जायँ,
तो कौन सी बुरी बात हो जाएगी ?
जैसे कि सोवियत यूनियन का हुवा है.
योरोप में आए दिन देश जुड़ते और टूटते रहते है.
कैनाडा में फ़्रांस मूल बाहुल्य इलाक़ा कई बार अलग होने की बात करता है,हर बार चुनाव में मामूली अंतर से हार जाता है.
देश में कोई ख़ून रेज़ी नहीं होती.
काशमीर में सेना से लेकर अवाम तक की लगभग लाख से अधिक जाने जा चुकी हैं.
यह देश प्रेम कहा जायगा या बेईमानी ?
मानवता को देश प्रेम नहीं, धरती प्रेम की ज़रूरत है.
देश तो सियासत दानों की सीमा बंदी होता है.
जिसमें रहकर हम सुऱक्षित रहते हैं,
हम सुऱक्षित रहते हैं दाख़िली तौर पर और
ख़ारजी तौर पर जिसके लिए हम जान भी दे सकते हैं.
देश को प्रेम नहीं टैक्स चाहिए,
टैक्स चोरी देश द्रोह है न कि दिल की आवाज़.
देखिए कब तक यह गुंड़े और बेईमान सियासत दान कब तक
इंसानी ख़ून से अपनी प्यास बुझाते रहते हैं.
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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