क़ुरआन सरापा झूट
*इस्लाम इसके सिवा और कुछ भी नहीं क़ि यह एक
अनपढ़ मुहम्मद की जिहालत है भरी, ज़ालिमाना तहरीक है.
आज इसके नुस्ख़े सड़ गल कर ग़लीज़ हो चुके हैं,
इसी ग़लाज़त में पड़े हुए हैं 99% मुसलमान.
*क़ुरआन सरापा बेहूदा और मक्र का पुलिंदा है.
इतिहास की बद तरीन तस्नीफ़े-ख़ुराफ़ात .
*मुहम्मद ने निहायत अय्यारी से क़ुरआन की रचना की है
जिसकी ज़िम्मेदारी अल्लाह पर रख कर ख़ुद अलग बैठे तमाश बीन बने रहते हैं.
*मुहम्मद एक कठमुल्ले थे जिसका सुबूत उनकी हदीसें हैं.
*क़ुरआन की हर आयत मुसलमानो की शह रग पर चिपकी
जोंक की तरह उनका ख़ून चूस रही हैं.
*वह जब तक क़ुरआन से मुंह नहीं फेरता, और उसके फ़रमान से बग़ावत नहीं करता,
इस दुनिया में पसमान्दा क़ौम के शक्ल में रहेगा
और दीगर क़ौमो का सेवक बना रहेगा.
*क़ुरआन के फायदे मक्कार ओलिमा गढ़े हुए हैं
जो महेज़ इसके सहारे ग़ुज़ारा करते हैं
और आली जनाब भी बने रहते हैं..
*मुसलमानो!
इन ओलिमा से उतनी ही दूरी क़ायम रख्खो,
जितनी दूरी सुवरों से रखते हो.
यही तुम्हारे सबसे बड़े दुश्मन हैं.
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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