सूरह बक्र का निचोड़
* शराब और जुवा में बुराइयाँ हैं और अच्छइयां भी.
* ख़ैर और ख़ैरात में उतना ही ख़र्च करो जितना आसान हो.
* यतीमों के साथ मसलेहत की रिआयत रखना ज़्यादः बेहतर है.
*काफ़िर औरतों के साथ शादी मत करो भले ही लौंडी के साथ कर लो.
*काफ़िर शौहर मत करो, उस से बेहतर ग़ुलाम है.
*हैज़ (मासिक धर्म)एक गंदी चीज़ है हैज़ के आलम में बीवियों से दूर रहो.
*मर्द का दर्जा औरत से बड़ा है.
*सिर्फ़ दो बार तलाक़ दिया है तो बीवी को अपना लो चाहे छोड़ दो.
*तलाक़ के बाद बीवी को दी हुई चीजें नहीं लेनी चाहिएं, मगर आपसी समझौता हो तो वापसी जायज़ है. जिसे दे कर औरत अपनी जन छुडा ले.
*तीसरे तलाक़ के बाद बीवी हराम है.
*हलाला के अमल के बाद ही पहली बीवी जायज़ होगी.
*माएँ अपनी औलाद को दो साल तक दूध पिलाएं तब तक बाप इनका ख़याल रखें.
ये काम दाइयों से भी कराया जा सकता है.
*एत्काफ़ में बीवियों के पास नहीं जाना चाहिए.
*बेवाओं को शौहर के मौत के बाद चार महीना दस दिन
निकाह के लिए रुकना चाहिए.
*बेवाओं को एक साल तक घर में पनाह देना चाहिए
*मुसलमानों को रमज़ान की शब् में जिमा (संभोग) हलाल हुवा.
वग़ैरह वग़ैरह सूरह ख़ास बातें,
इस के अलावः नाक़ाबिले क़द्र बातें जो फ़ुज़ूल कही जा सकती हैं, भरी हुई हैं.
तमाम आलिमान को मोमिन का चैलेंज है.
मुसलमान आँख बंद कर के कहता है क़ुरआन में निज़ाम हयात (जीवन-विधान) है.
ये जुमला मुल्ला, मौलवी मुसलमानों के सामने इतना दोहराते हैं
कि वह सोंच भी नहीं सकता कि ये उसकी जिंदगी के साथ सब से बड़ा झूट है.
ऊपर की बातों में आप तलाश कीजिए कि कौन सी इन
बेहूदा बातों का आज की ज़िंदगी से वास्ता है.
इसी तरह इनकी हर हर बात में झूट का अंबार रहता है.
इनसे मुसलमानों को नजात दिलाना हर मोमिन का क़स्द होना चाहिए .
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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