खेद है कि यह वेद है (31)
हे ध्यावा पृथ्वी !
यज्ञ करने के इच्छुक एवं तुम्हें प्रसन्न करने के लिए प्रयत्न शील
मुझ स्तोता की रक्षा करो.
सब की अपेक्षा उत्कृष्ट अन्न वाले
एवं अनेक लोगों द्वारा प्रशंसित तुम्हाती स्तुति में
अन्न प्राप्ति की अभिलाषा से विशाल स्तोत्रों द्वारा करूँगा.
द्वतीय मंडल सूक्त 32 (1)
मेरे बचपन में मुझे याद है भिखारी गले में झोली लटकाय दर दर पिसान माँगा करते थे. कुत्ते उनको देख कर भौंकते और भगाते.
शेख शादी कहते हैं कि कुत्ता इस लिए भिखारी पर भौंकता है कि उसका एक टुकड़े से पेट भर जाता है, भिखारी की झोली कभी भी नहीं भारती.
कुत्ता एक टुकड़े के बदले रात भर बस्ती की रखवाली करता है
और भिखारी भीख मांग कर सुख सुविधा को भोगता है.
यह पूरा वेद भिखारी नामः है.
हवि यानी खैरात.
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