Saturday 28 March 2020

शपथ गीता की, जो कहूँगा सच कहूँगा. (41)


शपथ गीता की, जो कहूँगा सच कहूँगा. (41)

भगवान् कृष्ण कहते हैं - - -
>जो देवताओं की पूजा करते हैं, वे देवताओं के बीच जन्म लेते है,
जो पितरों को पूजते हैं वे पितरों के पास जाते हैं, 
जो भूत प्रेतों की उपासना करते हैं वे उन्हीं के बीच जन्म लेते हैं, 
और जो मेरी पूजा करते है वे मेरे साथ ही निवास करते हैं.
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय  - 9  - श्लोक -25 
>हे कृष्ण भगवान ! 
तुमको पूजने से तो बेहतर है हम औरों को पूजें, या अपने पितरों को. 
कम से कम दूसरे आपकी तरह ब्लेक मेलिंग तो नहीं करेगे.
स्वयंभू भगवान् बन कर, महिमा मंडित होकर, हमारा दिमाग़ तो नहीं खाते रहेंगे. 
और क़ुरआन कहता है - - - 
>''आप फरमा दीजिए तुम तो हमारे हक में दो बेहतरीयों में से एक बेहतरी के हक में ही मुताज़िर रहते हो और हम तुम्हारे हक में इसके मुन्तजिर रहा करते हैं कि अल्लाह तअला तुम पर कोई अज़ाब नाज़िल करेगा, अपनी तरफ से या हमारे हाथों से.सो तुम इंतज़ार करो, हम तुम्हारे साथ इंतज़ार में हैं.''
सूरात्तुत तौबा ९ - १०वाँ परा आयत (५२)
यह आयत मुहम्मद की फितरते बद का खुला आइना है, 
कोई आलिम आए और इसकी रफूगरी करके दिखलाए. 
ऐसी आयतों को ओलिमा अवाम से ऐसा छिपाते हैं जैसे कोई बद ज़ात औरत अपने नाजायज़ हमल को ढकती फिर रही हो. 
आयत गवाह है कि मुहम्मद इंसानों पर अपने मिशन के लिए अज़ाब बन जाने पर आमादा थे. 
इस में साफ़ साफ मुहम्मद खुद को अल्लाह से अलग करके निजी चैलेन्ज कर रहे हैं, 
क़ुरआन अल्लाह का कलाम को दर गुज़र करते हुए अपने हाथों का मुजाहिरा कर रहे हैं. 
अवाम की शराफत को ५०% तस्लीम करते हुए अपनी हठ धर्मी पर १००% भरोसा करते हैं. 
तो ऐसे शर्री कूढ़ मग्ज़ और जेहनी अपाहिज हैं 
***
  
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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